भोपाल, प्रखर जैन । लोकसभा चुनाव के पहले विपक्ष को घेरने के लिए बीजेपी ने चौतरफा एक्शन प्लान तैयार किया है, बीजेपी के प्लान के मुताबिक काँग्रेस समेत पूरे विपक्ष को राम मंदिर के मुद्दे पर घेरने की तैयारी है। ऐसे में अब काँग्रेस ने भी अपना काउन्टर प्लान या फिर यूं कहें डैमिज कंट्रोल प्लान तैयार किया है ।
– लोकसभा चुनाव के पहले काँग्रेस का डैमिज कंट्रोल प्लान
– राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर घेराव का सताया डर
– राहुल की यात्रा के बाद काँग्रेस निकलेगी ‘राम वचन यात्रा’
– यात्रा से दिलवाए जाएंगे बीजेपी को उसके वचन याद
– प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों से निकलेगी यात्रा
लोकसभा चुनाव के पहले एक बार फिर काँग्रेस यात्राओं के सहारे अपनी रणनीति बनती हुई नजर आ रही है। एक तरफ तो लोकसभा चुनाव के ठीक पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा के जरिए चुनावी माहौल बनाने में लागि हुई है। लेकिन मध्यप्रदेश का रण अलग है साहब। तो ऐसे में एमपी की रणनीति भी अलग ही है। यहाँ एक बार फिर कांग्रेस जो पहले से ही सत्ता का वियोग पिछले 2 दशकों से झेल रही है और लोकसभा चुनाव में भी लगातार एमपी में घटता ग्राफ काँग्रेस आला कमान की चिंता बढ़ाए हुए हैं।
अब काँग्रेस एमपी में हर वो कवायद कर रही है जिससे बीजेपी के विजय रथ को तो रोक ही सके और साथ ही बीजेपी के मिशन क्लीन स्वीप को भी रोक पाए। ऐसे में अब एमपी में एक बार फिर राहुल गांधी की यात्रा के बाद एमपी में एक और यात्रा एमपी काँग्रेस करने जा रही है। इस यात्रा को काँग्रेस ने राम वचन यात्रा का नाम दिया है। एक तरफ तो इस यात्रा में राम राज्य की काँग्रेस बात करेगी साथ ही बीजेपी को उसके वचन यानि की वचन पत्र में किए गए वादे याद दिलाने की बात कर रही है।
काँग्रेस इस राम वचन यात्रा को प्रदेश की सभी 29 लोकसभा क्षेत्रों में निकालने जा रही है। यात्रा के दौरान किसान, युवा, बेरोजगार और महिलाओं समेत उन सभी वचनों की बात करेगी जिन्हे बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के अपने वचन पत्र में शामिल किया था। यानि काँग्रेस का साफ आरोप है की बीजेपी की सरकार ने अपने किसी भी वचन को अभी तक पूरा नहीं किया है। वहीं बीजेपी 2 महीने की सरकार में 40 से ज्यादा वचन और वादों को पूरा करने की बात कर रही है। साथ ही कॉंग्रेस को विघ्नसंतोषी और राम नाम का राजनीतिकरण करने का आरोप लगा रही है
देश में राजनीति और यात्राओं का गहरा नाता रहा है । बीजेपी हो या फिर काँग्रेस जब भी राजनीति में संघर्ष के दौर में दिखी है तब तब यात्राओं का साथ लिया है। फिर चाहे 1990 में आडवाणी की राम रथ यात्रा हो जिसके बाद बीजेपी का जनाधार बढ़ा था । या फिर मध्यप्रदेश में 2018 विधानसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह की नर्मदा यात्रा। यात्राओं ने राजनीति में दोनों का ही साथ दिया है। शायद इसीलिए ही काँग्रेस की आधुनिक राजनीति की बागडोर इस समय यात्राओ के भरोसे ही दिखाई पढ़ रही है। फिर चाहे राहुल गांधी की दूसरी यात्रा हो या फिर अब आने वाले दिनों में शुरू हो रही राम वचन यात्रा। हालांकि राहुल की पहली यात्रा से पहले और बाद के माहौल में हाल ही में हुए चुनाव में अधिक असर नहीं दिखाई दिया है । ऐसे में एक नई यात्रा काँग्रेस के लिए कितनी मुफीद होई है ये देखने वाली बात होगी