बैतूल। भारतीय टीम के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज नमन ओझा पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। दरअसल, उनके पिता विनय ओझा को कोर्ट ने 7 साल जेल की सजा सुनाई है। साथ ही 14 लाख रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया है। उन पर आरोप है कि साल 2013 में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की जौलखेड़ा ब्रांच का मैनेजर रहते हुए उन्होंने सवा करोड़ रुपए गबन किया था। कोर्ट ने इस मामले में विनय ओझा के साथ तीन अन्य आरोपियों को भी सजा सुनाई। इन चारों आरोपियों ने मिलकर फर्जी किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) खाते खुलवाकर इसमें लोन ट्रांसफर कर रुपए निकाल लिए थे। (Cricketer Naman Ojha)
बैतूल के मुलताई अपर सत्र न्यायालय इस 11 साल पुराने मामले में सजा सुनाई। विनय ओझा के अलावा कोर्ट ने इस मामले में बैंक ऑफ महाराष्ट्र की मुलताई ब्रांच के मैनेजर अभिषेक रत्नम और दो अन्य आरोपियों धनराज और लखनलाल पवार को भी 7-7 साल की सजा सुनाई। (Cricketer Naman Ojha)
2014 में दर्ज हुआ था केस
क्रिकेटर नमन ओझा के पिता विनय ओझा पर साल 2014 में धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी। मामला दर्ज होने के बाद से ही वो फरार चल रहे थे, पुलिस उनकी तलाश में जुटी थी। 8 साल बाद साल 2022 में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया था। मामले के चारों आरोपी फिलहाल जमानत पर थे। कोर्ट का फैसला आने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर मुलताई जेल भेज दिया गया।
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कैसे किया गबन?
मुलताई में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के मैनेजर अभिषेक रत्नम ने जौलखेड़ा जाकर किसानों के नाम फर्जी केसीसी बनाकर आरोपी धनराज और लखन पवार सहित अन्य खातों में ट्रांसफर किए। वहीं, विनय कुमार ओझा ने पासवर्ड अभिषेक रत्नम को दिया। इसके बाद अभिषेक ने मुलताई से जौलखेड़ा शाखा में आकर लॉग इन से पैसे ट्रांसफर किए।
दो अन्य आरोपी धनराज और लखनलाल पवार ने विनय ओझा अभिषेक रत्नम को खातों की जानकारी दी। अपने खातों में ट्रांसफर कराए। फिर सभी चारों आरोपियों ने ये पैसे आपस में बांट लिए।