जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एयर कनेक्टिविटी में भेदभाव का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की गई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने भारत सरकार और विमानन कंपनी से जबलपुर को देश के अन्य शहरों से जोड़ने को लेकर जानकारी मांगी है। जनहित याचिका के माध्यम से कोर्ट को बताया गया कि कोरोना से पहले जबलपुर से 8 नियमित उड़ानें थीं, जबकि 500 करोड़ रुपए खर्च कर नया जबलपुर एयरपोर्ट बनाने के बाद महज 4 उड़ाने ही बची हैं।(Jabalpur News)

कोर्ट ने एक महीने की दी मोहलत

हाईकोर्ट ने भारत सरकार और विमानन कंपनी को जवाब दाखिल करने के लिए 1 महीने की मोहलत दी है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच की ओर से लगाई गई इस जनहित में अगली सुनवाई 11 दिसंबर को होगी।(Jabalpur News)

नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन

इतना ही नहीं, नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ. पीजी नाजपांडे की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि मध्य प्रदेश के अन्य शहरों की तुलना में कम फ्लाइट होना जबलपुर के नागरिकों के साथ ठीक नहीं है। पूर्व में जबलपुर की एयर कनेक्टिविटी इंदौर, ग्वालियर और भोपाल के समान थी। साथ ही जबलपुर से मुंबई, पुणे, कोलकाता, बैंगलोर आदि शहरों के लिए फ्लाइट संचालित होती थी।(Jabalpur News)

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याचिका में बताया गया कि कोरोना से पहले जबलपुर से औसतन 8  फ्लाइट संचालित होती थीं। वर्तमान में जिनकी संख्या महज 4 हो गई है। जिससे जबलपुर का विकास अवरुद्ध हो रहा है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के लिए एक महीने की मोहलत दी है। गुरुवार को हुई सुनवाई पर याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।