रतलाम। दीपावली के मौके पर अपनों के बीच खुशियां मनाने का मज़ा ही कुछ और होता है, लेकिन मध्य प्रदेश में एक जगह ऐसी भी है जहां मुक्तिधाम जैसी जगह पर लोग आतिशबाजी करते हैं, दीप जलाकर और ढोल बजाकर खुशियां मनाते हैं। हम बात कर रहे हैं रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम की। जहां अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि प्रकट करने के लिए सैकड़ों परिवार वहां दीपावली मनाने पहुंचे।(Unique Diwali)
श्मशान में दीप जलाकर दिवाली मनाते हैं लोग
दरअसल, त्रिवेणी मुक्तिधाम में हर साल रूप चौदस के दिन अलग ही नजारा देखने को मिलता है। मुक्तिधाम में जहां एक ओर तीन चिताएं जल रही थीं। वहीं दूसरी ओर सैकड़ों लोग दीपक जलाकर आतिशबाजी कर रहे थे। छोटे बच्चों से लेकर महिलाएं और बुजुर्ग मुक्तिधाम में दिवाली मनाते नजर आए।(Unique Diwali)
2006 से लगातार जारी है परंपरा
मुक्तिधाम में दिवाली मनाने की यह अनोखी परंपरा साल 2006 से लगातार जारी है। जिसमें शामिल होने के लिए रतलाम ही नहीं, अहमदाबाद, बड़ौदा और मुंबई से भी लोग पहुंचते हैं। श्मशान में आमतौर पर महिलाएं और बच्चे जाने से बचते हैं, लेकिन त्रिवेणी मुक्तिधाम में छोटे बच्चे और महिलाएं श्मशान में दिवाली मनाते हैं। बच्चे और महिलाओं का कहना है कि अपने पूर्वजों को दीपदान करने के लिए वह आते हैं। शुरुआत में श्मशान के नाम से डर लगता था, लेकिन अब दीपावली पर वहां आकर रंगोली बनाना और आतिशबाजी करना अच्छा लगता है।(Unique Diwali)
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दरअसल, पूर्वजों के साथ दिवाली मनाने की यह परंपरा है। जो रतलाम में पिछले कुछ सालों से प्रचलित हो रही है। वहां लोग मुक्तिधाम को अपने घर की तरह सजाते हैं और रंगोली बनाकर ढोल की थाप पर आतिशबाजी करते हैं।