उज्जैन। महाकाल की नगरी उज्जैन के वासी उस समय चौंक गए जब शिप्रा नदी (Shipra flood) में अचानक बाढ़ आ गई। उनका चौंकना लाजिमी भी है क्योंकि उस समय या उससे पहले वहां ऐसी बारिश भी नहीं हुई थी कि बाढ़ आ जाए।
नदी (Shipra flood) के जलस्तर में अचानक हुई बढ़ोतरी से हड़कंप मच गया। घाट के पास पूजा करा रहे पंडित यहां-वहां भागने लगे। कई मंदिरों में पानी घुस गया। छोटा रपटा (पूलिया) भी जलमग्न हो गया। इतना ही नहीं पार्किंग में जो गाड़ियां खड़ीं थीं वह बहने लगीं।
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यहां-वहां भागने लगे लोग
जानकारी के मुताबिक रविवार को दोपहर साढ़े बाहर बजे शिप्रा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया। जिससे घाट के किनारे पर बने छोटे मंदिरों में पानी घुसने लगा। पानी का बहाव इतना तेज था कि रपट (पुलिया) पर पार्क हुईं कारें तक बहने लगीं। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने रस्से की सहायता से कार को नदी से निकाला। इसके बाद पुल पर से आवाजाही बंद कर दी।
होमगार्ड और एसडीआरएफ ने संभाला मोर्चा
नदी के रामघाट समेत अन्य घाटों पर अचानक बाढ़ क्यों आई? ये वहां तैनात होमगार्ड और पुलिस के जवान भी नहीं समझ पाए। उन्हें लोगों को सचेत करने के लिए सायरन बनाने का तक समय नहीं मिला।
इसके बाद एसडीआरएफ और होमगार्ड की टीम ने मोर्चा संभाला। उन्होंने नदी में नहा रहे लोगों के लिए तत्काल बाहर निकलने के निर्देश अनाउंस किए।
क्यों आई बाढ़?
रामघाट पर होमगार्ड चौकी प्रभारी ईश्वरलाल चौधरी ने बताया कि बिना किसी सूचना के डैम से पानी छोड़ा गया था। जिसकी वजह से बाढ़ जैसे हालात बने थे। रविवार दोपहर साढ़े बारह बजे नदी का जलस्तर बढ़ने की वजह से घाट को तुरंत खाली कराया गए।
बता दें कि देवास की तरफ से क्षिप्रा पर बने डैम के गेट खोलने के कारण शिप्रा नदी का जलस्तर एकदम से बढ़ गया था।
नहीं दी गई थी सूचना
चौकी प्रभारी के मुताबिक सुबह 6 बजे से नगर निगम की ओर से व्हाट्सएप के जरिए बांध के गेट खुलने की जानकारी मिली थी। जिसमें कहा गया था कि तुमनी गांव में शिप्रा पर बने डैम के दो गेट ढाई मीटर तक खोले गए हैं। इससे नदी का जलस्तर अचानक बढ़ सकता है।
इसके बाद रामघाट, दत्तघाट और नृसिंह घाट पर लोगों को सचेत भी कर दिया गया था। लेकिन, कुछ घंटों बाद अचानक बाढ़ आ जाने की वजह से पूरी स्थिति ही बदल गई।