भोपाल। भगवान कृष्ण की प्रासंगिकता हमारे कदम-कदम पर है। श्रीकृष्ण हमारे मार्गदर्शक हैं, पथ प्रदर्शक हैं।उनके विचारों और आचरण से हमें बहुत सीख मिलती है। उन्होंने 5000 वर्ष पहले जो जीवन जिया है वो आज भी प्रासंगिक है। आज उनके विचारों और संदेशों को आत्मसात करने की आवश्यकता है। ये बात प्रदेश की राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कृष्णा गौर (Krishna Gaur) ने BSTV के ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ कार्यक्रम के दौरान कहीं। (Special Event)
अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाना कृष्ण का संदेश
प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री कृष्णा गौर (Krishna Gaur) ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के संदेशों को आत्मसात करते हुए हम आगे बढ़ रहे हैं। उनको कहा जाता था कि भगवान कृष्ण ने आध्यात्म, लोकनीति, धर्मनीति, कर्मनीति को समन्वय के एक सूत्र में पिरोकर “कर्मण्ये वाधिकारस्ते माँ फलेषु” का पांचजन्य फूंका था। जो इस बात का प्रतीक है कि किसी भी काल में अन्याय के विरोध में आवाज तो उठानी ही चाहिए। अन्याय करना भी पाप है और उसे सहना भी पाप है। स्वाभाविक रूप से मुझे लगता है कि आज जिस समाज में हम रहते हैं अगर किसी के साथ अन्याय हो रहा है, तो उसे न्याय देना भगवान कृष्ण का संदेश है। अगर सहते हुए भी हम उसकी आवाज नहीं उठा पा रहे हैं, तो उसका मतलब है कि हम अपने साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं। भगवान कृष्ण के संदेश 5000 वर्ष पहले जितने प्रासंगिक थे, आज भी उतने ही संगिक हैं।(Special Event)
कृष्ण के जीवन से हर व्यक्ति परिचित
वहीं , भगवान कृष्ण के जीवन को लेकर राज्यमंत्री ने कहा कि हमारे लिए भगवान राम और भगवान कृष्ण दोनों ही आराध्य हैं। उनके जीवन से हम लोग प्रेरणा लेते हैं। आज अगर हम कहें कि भगवान कृष्ण के जीवन से हम लोगों को सीखने को मिलता है। उन्होंने बचपन जिया तो ऐसा जिया कि आज हर मां अपने लाल को कान्हा कहने में गौरव करती है। उन्होंने जवानी जी तो ऐसी जी, आज भी हमारे समाज में राधा-कृष्ण के पवित्र प्रेम को आदर्श माना जाता है। उन्होंने मैनेजमेंट सिखाया तो ऐसा सिखाया कि दुनिया के सबसे बड़े युद्ध में पांच वनवासी भाइयों को विजयी बना दिया । उन्होंने ज्ञान दिया तो ऐसा दिया कि श्रीमदभगवत गीता दुनिया का सर्वश्रेष्ठ ग्रन्थ है। कृष्ण के जीवन के किसी भी पहलू को हम देखते हैं तो ऐसा कोई व्यक्ति नहीं होगा जो कृष्ण के संदेशों से परिचित न हो।
बृज के साथ-साथ मध्य प्रदेश से भी कृष्ण का अटूट रिश्ता
कृष्णा गौर(Krishna Gaur) ने कहा कि भगवान कृष्ण का बृज में अधिकांश समय व्यतीत हुआ है। बाल लीलाएं उन्होंने वहां की हैं, किशोर अवस्था में वो वहां रहे हैं। तो स्वाभाविक रूप से वहां के लोगों के मन में उनके प्रति अटूट प्रेम है। इसका मतलब ये नहीं कि हमारे में मन में कम है ऐसा बिल्कुल नहीं है। भगवान कृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा ग्रहण की है। मध्य प्रदेश से भी श्रीकृष्ण का अटूट रिश्ता है। जो हम सबके लिए एक गौरव का विषय है।(Special Event)
सनातन संस्कृति का राजनीतिक क्षेत्र में उपयोग
राज्यमंत्री ने कहा कि आज हमारी सनातन संस्कृति की सीख को ही हम राजनीतिक क्षेत्र में उपयोग करते हैं। इसलिए मुझे लगता है कि आज जिस विचारधारा को अपनाकर हम काम कर रहे हैं वो बहुत हद तक भगवान कृष्ण और भगवान राम के संदेशों से और हमारी सनातन संस्कृति से प्रेरित है। मुझे गर्व है कि ऐसी विचारधारा से जुड़कर लोगों के काम करने का अवसर मिला उससे गौरवान्वित महसूस करती हूं।
लोगों में सामंजस्व और संतुलन की आवश्यकता
उन्होंने कहा कि जो विभाग मुझे मिला है वो सेवा का विभाग है। अब हमारे देश में सामाजिक भेद जो आया जिसके कारण लोगों के बीच में द्वेष की भावना आई उसमें कहीं न कहीं सामंजस्व और संतुलन बिठाने की आवश्यकता है। इस दृष्टि से उस वर्ग को उस स्थान पर लाकर खड़ा करना मेरे विभाग की जिम्मेदारी है। चाहें पिछड़ा वर्ग समाज, अल्पसंख्यक समाज,घुमंतु समाज हो । घुमंतु समाज जैसे वर्ग के लिए काम करने का अवसर मिला है जिसे समाज की मुख्यधारा में मुझे जोड़ना है। हमारी सरकार भी उनके लिए कल्याण के लिए संकल्पित है। मेरी प्रतिबद्धता है कि ओबीसी जैसे बड़े वर्ग के लिए काम करने का अगर अवसर मिला है तो मैं अपने विभाग के साथ अपने प्रयासों से न्याय करूंगी।(Special Event)
घुमंतू समाज के लिए 10 फीसदी बजट बढ़ा
इस बार के बजट में सरकार ने घुमंतू समाज के लिए 10 फीसदी बजट बढ़ा कर दिया है। खासकर सीएम मोहन यादव की कोशिश इस बात पर है कि समाज के यह वर्ग जो घुमंतू, अर्ध घुमंतू और विमुक्त श्रेणी में आता है। जिनका जीवन सड़कों पर घूमते हुए बीतता है, जिनके बच्चे शिक्षित नहीं हो पाते, उनका ठिकाना नहीं हो पाता। उसके कारण वो सामाजिक सुविधाओं से वंचित हो जाते हैं। ऐसे लोगों को चिह्नित करके उनके कल्याण की योजना बनाने का काम भारत सरकार भी इस दिशा में प्रयासरत है। प्रधानमंत्री ने हम लोगों को निर्देश दिए हैं कि पूरे देश के घुमंतू जातियों को चिह्नित करना होगा, उनकी संख्या निकालनी होगी। उसके बाद उनको एक अच्छा जीवन देने के लिए काम किया जा रहा है।(Special Event)
बहुत काम किया, बहुत करना बाकी है
महिलाओं के संदर्भ में बोलते हुए कृष्णा गौर ने कहा कि बहुत काम हुआ है बहुत काम करना बाकी है। जो काम हुआ उसके लिए निश्चित तौर पर मैं ये कहना चाहूंगी कि आधी आबादी को अवसर मिला तो उन्होंने खुद को सिद्ध किया। जब तक अवसर नहीं मिला था तो उनकी क्षमताओं को कोई समझ नहीं पाया था।
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महिलाओं ने अपनी क्षमता को सिद्ध किया
जब सरकार ने स्थानीय निकायों में, ग्राम पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण दिया तो बड़ी संख्या में महिलाएं चुनकर आईं। किस तरह से ग्रामीण क्षेत्र में महिलाएं, चाहें पंच हो सरपंच हो जनपद अध्यक्ष हो, नगर निगम में महापौर हो। अपने आपको अपनी प्राशसनिक क्षमताओं को सिद्ध किया है। जब मौका मिला तो महिलाओं ने समाज को दिखा दिया है कि ऐसा कोई काम नहीं जो महिलाएं नहीं कर सकतीं। उसके बावजूद भी प्रदेश और केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है।