सागर। जिले के मेहर गांव में डायरिया (Diarrhea) से पीड़ित मरीजों की बढ़ती जा रही है। इस गांव से तीन दिन में 300 सौ से ज्यादा लोग उल्टी-दस्त से पीड़ित होने के बाद अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। इतना ही नहीं कुछ ग्रामीणों का इलाज तो गांव में ही किया जा रहा है। डायरिया का प्रकोप इतना है कि गांव के शासकीय छात्रावास को अघोषित अस्पताल के रूप में तब्दील कर दिया गया हैं।
गांव में भेजे जा रहे पानी के टैंकर
इतना ही नहीं, दूषित पानी की समस्या को देखते हुए गांव में पानी के टैंकर भी भेजे जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि मेहर के उप स्वास्थ्य केंद्र, आयुर्वेदिक अस्पताल और छात्रावास को अस्थायी अस्पताल बनाया गया है। जहां 30 से ज्यादा बेड लगाकर मरीजों को भर्ती किया गया है। बताया जा रहा है कि गांव में पहले आदिवासी मोहल्ला, रविदास वार्ड नारायणपुरा में मरीज मिल रहे थे, लेकिन शनिवार को ऊपर टोला में ही लोग बीमार होने लगे।(Diarrhea)
जिस ट्यूबवेल से हुए बीमार, उस पर चार हजार लोग आश्रित
बता दें कि, मेहर गांव की आबादी लगभग 5 हजार है। सरकारी ट्यूबवेल से गांव के 80 फीसदी घरों में पानी की सप्लाई होती है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी ट्यूबवेल करीब 30 साल पुराना है। गर्मी के मौसम में एकमात्र इसी ट्यूबवेल से गांव के घरों में पानी सप्लाई होता है। जबकि कुछ लोग अपने निजी बोर और कुओं के पानी का उपयोग करते हैं। लेकिन गांव के तीन मोहल्लों में ही सबसे ज्यादा लोग उल्टी-दस्त के शिकार हुए हैं। इसी वजह से पानी से लोगों के बीमार होने पर ग्रामीण संदेह जता रहे हैं। उनका कहना है कि बारिश भी इतनी नहीं हुई कि ट्यूबवेल का पानी दूषित हो जाए।(Diarrhea)
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मरीजों को छट्टी नहीं, तीन दिन रखा जाएगा
सीएमएचओ डॉ. ममता तिमोरी का कहना है कि गांव के ऊपर टोला में भी उल्टी-दस्त के मरीज मिले हैं। जिनका इलाज गांव में बनाए अस्थायी अस्पताल में किया जा रहा है। कुछ लोगों को जिला अस्पताल भेजा गया है। मेहर के ऊपर टोला में चार डाक्टरों की टीम मौजूद है। मरीजों की स्थिति में सुधार हो रहा है। अभी किसी मरीज को छुट्टी नहीं दी है। उन्हें तीन दिन रखा जाएगा।(Diarrhea)