भोपाल। कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव और राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा ने संयुक्त रूप से पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक राष्ट्रीय परियोजना (River Link Project) के कार्यान्वयन की आधारशिला रखी।
दोनों राज्य मिलकर योजना को आगे बढ़ाएंगे
कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा- मध्य प्रदेश और राजस्थान दोनों ऐसे प्रदेश हैं जिनके पास जमीन है लेकिन सिंचाई के साधन कम थे। ये योजना ऐसी है कि दोनों राज्य मिलकर इसे आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि पहले पानी के लिए कुएं, बावड़ी बनवाते थे, नदियों के घाट बनवाते थे उनसे पेयजल मिलता था।(River Link Project)
एमपी-राजस्थान के लगभग13 जिले आते हैं- शर्मा
उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश और राजस्थान की यह योजना इतनी बड़ी है कि राजस्थान के लगभग 13 जिले इसमें आ रहे हैं, और मध्य प्रदेश के भी लगभग इतने ही जिले इसमें आते हैं।अभी तक नदी का पानी पूरा हिंद महासागर की तरफ पहुंच जाता था, जिसका उपयोग नहीं हो पाता था।(River Link Project)
आज का दिन मध्य प्रदेश के इतिहास में लिखा जाएगा- मोहन यादव
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा कि आज का दिन मध्यप्रदेश के इतिहास में लिखा जाएगा। उन्होंने कहा कि देश हित से बड़ा कोई हित नहीं होता। ये पूरा कार्यक्रम पीएम मोदी की भावना के अनुरूप किया जा रहा है। मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों भाई-भाई हैं, इतना ही नहीं दोनों राज्यों का कल्चर भी एक-दूसरे से मिलता है। आज की योजना का लाभ मध्य प्रदेश के 13 जिलों को मिलेगा। योजना के लिए केंद्र सरकार ने राजस्थान और मध्य प्रदेश को 35-35 हजार करोड़ रुपए दिए हैं। (River Link Project)
2004 से लंबित पड़ी थी परियोजना- सिलावट
वहीं, जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा 2004 से पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना लंबित पड़ी थी। आज दो व्यक्तित्व के प्रयासों और सोच, समन्वय से यह सौगात मध्य प्रदेश और राजस्थान को मिल रहा है। 2003-04 में मध्य प्रदेश की सिंचाई का रकबा मात्र 6-7 लाख हेक्टेयर होता था।
‘मोहन यादव के नेतृत्व में 47 लाख हेक्टेयर में सिंचाई’
मगर आज मुख्यमंत्री मोहन यादव के नेतृत्व में 47 लाख हेक्टेयर में सिंचाई कर रहे हैं 2025 में हमारा लक्ष्य लगभग 65 लाख हेक्टेयर में सिंचाई करने का है। सिवालट ने कहा कि सालों से हमारे यहां खुली नहरों से सिंचाई होती थी। अब मोहनपुरा कुंडलिया परियोजना एशिया की अनूठी परियोजना है। मध्य प्रदेश सौभाग्यशाली है दो-दो राष्ट्रीय परियोजनाएं जो अटल जी का सपना था वो साकार हो रहा है।
72 हजार करोड़ की परियोजना
बता दें कि, इस परियोजना में कुल 72 हजार करोड रुपए खर्च होंगे। जिसमें मध्य प्रदेश सरकार 35 हजार करोड़ और राजस्थान सरकार 37 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी। इस परियोजना से 6.17लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। इस परियोजना में कुल 17 बांध और बैराज बनाए जाएंगे। जिनकी जलभराव क्षमता 1477.62 मिलियन घन मीटर होगी। 9 जिलों में पेयजल और 4 जिलों के उद्योगों को पानी मिल सकेगा।
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इतना ही नहीं, श्रीमंत माधव राव सिंधिया सिंचाई कॉम्प्लेक्स पर चार बांध कटीला, सोनपुर, पावा, धनवाड़ी में बनाए जाएंगे। वहीं श्यामपुर और नैनागढ़ में दो बैराज बनाए जाएंगे। इससे गुना, श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड में 1.48 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। इन बांधों और बैराजों में 564 मिली घनमीटर पानी स्टोरेज क्षमता होगी।वहीं, गुना जिले में कुंभराज कॉम्पलेक्स दो बांध बनेंगे। जिनसे 51,600 हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी। रणजीत सागर बांध और लखसुंदर बैराज से शाजापुर, आगर-मालवा जिले की 50 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी। ऊपरी चंबल कछार में 7 बांध बनेंगे। इनमें सोनचिरी, रामवासा, बचौरा, पदुनिया, सेवरखेड़ी,चितावत, सिकरी सुल्तानपुरा बांधों से उज्जैन, इंदौर, धार जिले की 87 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी।