भोपाल। आज भारत समेत पूरी दुनिया में दसवें ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ (International Yoga Day Special) की धूम है। यह शरीर, मन और बुद्धि को स्वस्थ रखने की भारतीय जीवन है। इसका रोजाना अभ्यास करने से न केवल मनुष्य में एनर्जी लाता है बल्कि उसमें पॉजिटिविटी का संचार में करता है।

‘योग’ जिसका आज हर जगह बोलबाला है उसका परिचय दुनिया से हमारे देश भारत (International Yoga Day Special) ने कराया। ‘योग’ का सबसे पहला जिक्र हिंदू धर्म के चार वेंदों में सबसे बड़े वेद ‘ऋग्वेद’ में मिलता है। जिसके बाद कई धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख हुआ।

लेकिन क्या जानते हैं कि जो योग आज देश और धर्म की सीमाएं तोड़कर दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है उसे इस मुकाम पर लाने में हमारे देश के योग गुरूओं का योगदान रहा है। आइए जानते हैं उन महान विभूतियों के बारे में…….

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आज अगर योग गुरुओं का उल्लेख होता है तो लगभग सभी के मन में स्वामी रामदेव का नाम आता है। लेकिन भारतीय योग के इतिहास में ऐसे कई योग गुरु हुए हैं जिन्होंने योग का महत्व लोगों को बताने में अग्रणी भूमिका अदा की।

ऋषि पतंजलि

यदि योग का जिक्र हो और ऋषि पतंजलि का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता है। महाषऋि पतंजलि द्वारा रचित संस्कृत के कई ग्रंथों में से एक है ‘योगसूत्र’। इसे सभी योगाचार्य इसे योगदर्शन का मूलग्रंथ मानते हैं। वो पतंजलि ही थे जिन्होंने योग को आस्था, अंधविश्ववास और धर्म से बाहर निकालकर एक सुव्यवस्थित रूप दिया था। इनके दिये 195 सूत्र योग दर्शन के स्तंभ माने जाते हैं। पतंजलि ने ही अष्टांग योग की महिमा बताई थी।

महर्षि पंतजलि का जन्म यूपी के गोंडा में हुआ था। इसके बाद काशी उनका निवासस्थान रहा। उनके गुरू प्रसिद्ध व्याकरणाचार्य पाणिनी थे। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक पतंजलि को शेषनाग का अवतार माना जाता था। योगाचार्य के साथ पतंजलि बहुत बड़े चिकित्सक भी थे और इन्होंने ही ‘चरक संहिता’ जैसे आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रंथ की रचना की थी।

तिरुमलाई कृष्णमचार्य

तिरुमलाई कृष्णमचार्य जिन्हें आधुनिक योग का पितामह कहा जाता है। वो आयुर्वेद के साथ ही योग के भी ज्ञाता थे। इन दोनों की सहायता से उन्होंने कई लोगों की शारीरिक समस्याओं को दूर किया। हठयोग और विन्यास को का परिचय दुनिया से दोबारा कराने का श्रेय उन्हें ही जाता है। 18 नवंबर 1888 को मैसूर के चित्रदुर्ग जिले जन्में कृष्णमचार्य का निधन करीब 100 साल की उम्र में साल 1989 में हुआ। उन्होंने हिमलाय की बर्फीली गुफाओं में योग की बारीकियां सीखीं थीं।

कहा जाता है कि वो योग माध्यम से अपनी सांसों और धड़कनों पर काबू तक पा लेते थे। उन्होंने योग को ज्यादा से ज्यादा फैलाने के लिए साल 1938 में योगा के आसनों पर एक मूक फिल्म भी बनाई थी।

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बी के एस अयंगर

बी के एस अयंगर जिन्हें दुनिया के श्रेष्ठ योग गुरुओं में से एक माना जाता है। अयंगर ने योग दर्शन पर कई किताबें लिखीं, जिनमें ‘लाइट ऑन योगा’, ‘लाइट ऑन प्राणायाम’ और ‘लाइट ऑन द योग सूत्राज ऑफ पतंजलि’ प्रमुख हैं। 14 दिसम्बर 1918 को कर्नाटक के बेल्लूर में एक गरीब परिवार में जन्मे अयंगर के बारे में कहा जाता है कि वह बचपन में अस्वस्थ रहा करते थे। तभी किसी ने उन्हें योग करने का सलाह दी। इसके बाद उन्होंने योग करना शुरू किया और धीरे-धीरे उनके स्वास्थ में सुधार होने लगा।

जिसके बाद उन्होंने योग की महिमा समझते हुए इसे देश-दुनिया में फैलाने का बीड़ा उठाया। योग करने के अपने अलग स्टाइल करने के चलते उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली। उनके इस स्टाइल को ‘अंयगर योग’ कहा गया। उनकी प्रसिद्धि का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि टाइम मैगजीन ने साल 2004 में उन्हें दुनिया के टॉप 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया था।

स्वामी शिवानंद सरस्वती

साल 1887 में तमिलनाडु में जन्में स्वामी शिवानंद सरस्वती पेशे से डॉक्टर थे। उन्होंने सामाजिक जीवन से संन्यास लेने के बाद ऋषिकेश में अपना बाकी का समय बिताया। योग और धर्म के कितने ज्ञाता थे इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि योग, वेदांत समेत कई धार्मिक और आध्यात्मिक विषयों पर उन्होंने करीब 300 किताबें लिखीं। उनके नाम पर ‘शिवानंद योग वेदांत’ एक योग सेंटर भी है, जिसमें योग सीखने और उसकी बारिकियां जानने के लिए देश-दुनिया के लोग आते हैं।

महर्षि महेश योगी

‘ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन’ जो ध्यान की एक ऐसी विधी है जिसमें आप मानसिक तौर पर किसी वाक्य या फिर शब्द को तब तक दोहराते हैं जब तक कि आप अंदर से शांति प्राप्त करने की कंडीशन में नहीं पहुंच जाते। इस तकनीक के जनक महर्षि योगी को माना जाता है। इसी के माध्यम से उन्होंने भारत ही नहीं दुनिया के कई लोगों को अपना अनुयायी बनाया। साल 1918 में छत्तीसगढ़ के एक गांव में जन्मे महेश योगी सही नाम महेश प्रसाद वर्मा था। इलाहाबाद से दर्शनशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले महर्षि योगी ने कुछ समय बाद हिमालय में जाकर अपने गुरु से ध्यान और योग की शिक्षा ग्रहण की। वर्तमान में देश के प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरूओं में शुभार श्री श्री रविशंकर महर्षि महेश योगी के ही शिष्य हैं।