अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर लोग जगह-जगह योग (Benefits of yoga) करते दिख जाएंगे। योग का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। पहले योगासन ज्यादातर ऋषि- मुनि करते थे। मौजूदा वक्त में योग का क्रेज युवाओं में भी बढ़ रहा है। जिसका उदाहरण आए दिन देखने को मिल जाता है। आप अपनी योग यात्रा में कहीं भी हों, लेकिन सीखने के लिए हमेशा कुछ न कुछ होता है। योग एक निरंतर विकसित होने वाली प्रथा है। जो हज़ारों साल पुरानी है। इसके कई प्रकार भी होते हैं।

अष्टांग योग

यह योग शैली पिछले कुछ दशकों के दौरान सबसे ज्यादा लोकप्रिय (Benefits of yoga) हुई थी। योग के इस प्रकार में, योग की प्राचीन शिक्षाओं का उपयोग किया जाता है। अष्टांग योग, तेजी से सांस लेने की प्रक्रिया को जोड़ता है। इसमें मुख्य रूप से 6 मुद्राओं का समन्वय है।

विक्रम योग

इस प्रकार के योग में गर्म, नम कमरे में आसनों का एक सेट करना (Benefits of yoga) शामिल है। आम तौर पर, कमरे का तापमान 105 डिग्री और 40% आर्द्रता पर सेट किया जाता है। ऐसे वातावरण में योग करने से मांसपेशियों और जोड़ों को ढीला करने में मदद मिलती है। जिससे व्यक्ति ज्यादा लचीला बन सकता है और आसन करने में आसानी होती है।विक्रम योग में 26 बुनियादी आसन शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को दो बार कर सकते हैं।

हठ योग

यह किसी भी योग के लिए एक सामान्य शब्द है, जिसके द्वारा शारीरिक मुद्राएं सीखी जाती हैं। हठ योग, मूल योग मुद्राओं के परिचय के रूप में काम करता है।

अयंगर योग

योग के इस प्रकार में विभिन्न प्रॉप्स  जैसे कम्बल, तकिया, कुर्सी और गोल लंबे तकिये इत्यादि का प्रयोग करके सभी मुद्राओं को किया जाता है।

जीवामुक्ति योग

जीवामुक्ति का अर्थ है “जीवित रहते हुए मुक्ति।” योगा का यह फार्म साल 1984 के आस-पास उभर कर सामने आया था। इसके बाद इसे आध्यात्मिक शिक्षा और योग प्रथाओं को इसमें शामिल किया गया था। जीवामुक्ति योग में किसी भी मुद्रा (Benefits of yoga) पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय दो मुद्राओं के बीच की गति को बढ़ाने पर ध्यान दिया जाता है। इस ध्यान को विनयसा कहा जाता है। प्रत्येक कक्षा में एक विषय होता है, जिसे योग शास्त्र, जप, ध्यान, आसन, प्राणायाम और संगीत के माध्यम से खोजा जाता है। जीवामुक्ति योग में शारीरिक रूप से तीव्र क्रियाएं की जाती हैं।

कृपालु योग

कृपालु योग, साधक को उसके शरीर को जानने, उसे स्वीकार करने और सीखने की शिक्षा देता है। कृपालु योग के साधक आवक देख कर अपने स्तर का अभ्यास करना सीखते हैं। इसकी कक्षाएं श्वास अभ्यास और शरीर को धीरे- धीरे स्ट्रेच करने के साथ शुरू होती हैं। इसमें बाद में विश्राम की एक श्रृंखला भी होती है।

कुंडलिनी योग

कुंडलिनी योग उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जो योग के शारीरिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ उठाना चाहते हैं। योग की यह शैली व्यक्ति के शरीर में कुंडलिनी ऊर्जा को मुक्त करने पर केंद्रित है। यह तेज़ गति वाले आसनों पर ध्यान केंद्रित करता है जो व्यक्ति के कोर पर काम करते हैं और उसे अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर करते हैं।

योग की लोकप्रियता में उछाल का कारण

पिछले कुछ दशकों में योग की लोकप्रियता में उछाल आने का एक कारण ये है कि योग मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य के लिए फ़ायदेमंद है।

योग से होने वाले फायदे

  • गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
  • संतुलन, शक्ति और लचीलेपन में सुधार करता है।
  • तनाव को प्रबंधित करने और राहत देने में मदद करता है।
  • व्यक्ति की ऊर्जा के स्तर को बढ़ाता है और मूड को बेहतर बनाता है।
  • पीठ दर्द को कम करने में भी मदद करता है।
  • हृदय के स्वास्थ्य में सुधार करता है।
  • चिंता और अवसाद से राहत दिलाता है।
  • स्वस्थ चयापचय बनाए रखने में मदद करता है।

योग का मतलब है सांस लेना

योग सिर्फ़ सही मुद्रा अपनाने के बारे में नहीं है, बल्कि यह सांस लेने के बारे में भी है। वैसे तो योगी कई तरह की सांस लेने की तकनीक अपनाते हैं, लेकिन सबसे ज़रूरी तकनीक 1:1 सांस लेना है। इसका मतलब ये है कि जितनी बार आप सांस अंदर लेते हैं, उतनी बार ही सांस बाहर छोड़ते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप तीन बार सांस अंदर लेते हैं, तो आपको तीन बार सांस बाहर भी छोड़नी होगी।

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योग हजारों साल से अस्तित्व में है। योग की उतपत्ति 5000 साल पहले उत्तरी भारत में हुई थी। जो कि धीरे-धीरे पूरे देश में फैल रहा है। इतना ही नहीं लोगों को इससे स्वास्थ्य लाभ भी नजर आ रहा है।