भोपाल। यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) ने मध्यप्रदेश (Education News) की 16 यूनिवर्सिटियों को डिफॉल्टर घोषित किया है। यूजीसी के इस एक्शन की वजह यूनिवर्सिटी की ओर से लोकपाल की नियुक्ति नहीं करना है। बता दें कि लोकपालों की नियुक्ति यूनिवर्सिटीज में छात्रों की समस्याओं को हल करने के लिए की जाती है। इस पद के लिए सेवानिवृत कुलपति, 10 सालों के अनुभव वाले सेवानिवृत प्रोफेसर या फिर पूर्व जिला जज को नियुक्त किया जाता है।

डिफॉल्टर घोषित की गई यूनिवर्सिटियों में से 7 गवर्मेंट और 9 प्राइवेट हैं। बात करें सरकारी यूनिवर्सिटी (Education News) की तो इनमें जबसे ज्यादा तीन जबलपुर की यूनिवर्सिटी शामिल हैं। वहीं, भोपाल और ग्वालियर की दो यूनिवर्सिटी के नाम शामिल हैं। लोकपाल की नियुक्ति न होने को लेकर की गई इस कार्रवाई में जिन 9 यूनिवर्सिटियों शामिल हैं उनमें इंदौर की 3, भोपाल की 2 और सीहोर, देवास, नीमच और सागर की 1-1 यूनिवर्सिटी हैं।

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डिफॉल्टर घोषित हुईं सरकारी यूनिवर्सिटी

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं जनसंचार यूनिवर्सिटी, भोपाल
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि यूनिवर्सिटी, ग्वालियर
जवाहरलाल नेहरू कृषि यूनिवर्सिटी, जबलपुर
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी, भोपाल
मध्यप्रदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी, जबलपुर
नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान यूनिवर्सिटी, जबलपुर
राजा मान सिंह म्यूजिक एंड आर्ट यूनिवर्सिटी, ग्वालियर

देश की 157 यूनिवर्सिटीज के नाम शामिल

यूजीसी ने यह एक्शन एमपी समेत देश के अन्य राज्यों की 157 यूनिवर्सिटीज के खिलाफ उठाया है। जिनमें छत्तीसगढ़ की 5, आंध्र प्रदेश की 4, बिहार की 3, दिल्ली की 1, गुजरात की 4, हरियाणा की 2, जम्मू कश्मीर की 1 झारखंड की 4, कर्नाटक की 13, केरल की 1, महाराष्ट्र की 7 मणिपुर की 2, मेघालय की 1, ओडिशा की 11, पंजाब की 2, राजस्थान की 7, सिक्किम की 1, तेलंगाना की 1, तमिलनाडु की 3, उत्तर प्रदेश की 10, उत्तराखंड की 4, पश्चिम बंगाल की 14 सरकारी यूनिवर्सिटी शामिल हैं।

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