रायपुर। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बिना विभागीय अनुमति (Health Department ) के मुख्यमंत्री, मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों से नहीं मिल पाएंगे। अगर अधिकारियों और कर्मचारियों को मिलना है तो उसके लिए उचित माध्यम से अनुमति लेनी होगी। इतना ही नहीं अगर ऐसा नही किया जाता है तो कार्रवाई भी की जाएगी। लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार पिंगुआ द्वारा जारी इस आदेश का विरोध भी शुरू हो गया है।

अनुमति लेकर ही कर सकेंगे मुलाकात

दरअसल, अपर मुख्य सचिव के आदेश में कहा गया है कि प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग (Health Department ) के शासकीय सेवकों को निजी समस्या के कारण मुख्यमंत्री, मंत्री, वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उपस्थित होने के लिए उचित माध्यम से अनुमति प्राप्त करनी होगी। यदि कोई शासकीय सेवक विभागीय चैनल की अनुमति प्राप्त किए बिना उपस्थित होता है तो छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम 21 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

इस वजह से जारी किया गया आदेश

शासकीय सेवकों और अन्य सेवाओं से संबंधित मामलों के निराकरण के लिए उचित माध्यम से वरिष्ठ अधिकारियों को अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के निर्देश पूर्व से ही दिए गए हैं। परिपत्र में कहा गया है कि निर्देशों के बावजूद यह देखा जा रहा है कि शासकीय सेवक सीधे मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी के सामने बिना अनुमति लिए उपस्थित हो रहे हैं। इस तरह की कार्य प्रणाली से न सिर्फ कर्मचारियों का अनुशासन प्रभावित होता है, बल्कि कर्मचारी का भी समय नष्ट होता है, जिससे उनके कार्यस्थल की सेवा भी प्रभावित होती है।

संबंधित कार्यालय ही कर सकता है फॉलोअप

बता दें कि कई मामलों में देखा गया है कि कोई व्यक्तिगत समस्या के निराकरण के लिए संबंधित शासकीय सेवक मंत्रालय में मिलने आता है, जबकि उनकी समस्या का निराकरण संबधित विभागाध्यक्ष कार्यालय या जिला कार्यालय के स्तर से ही किया जा सकता है। किसी विशेष मामले के निराकरण और अनुमति के लिए पत्र मंत्रालय को संदर्भित किया गया है, तो संबंधित कार्यालय की ओर से ही फाओअप किया जा सकता है।

विभागीय अधिकारियों को किया गया निर्देशित

इतना ही नहीं इसके लिए संबंधित कर्मचारी को मंत्रालय भेजने की आवश्यकता नहीं है। परिपत्र के माध्यम से सभी विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है कि निजी समस्या के लिए मंत्री, वरिष्ठ अधिकारी के सामने उपस्थित होना आवश्यक हो तब भी शासकीय सेवक को उचित माध्यम से सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त करनी होगी।

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इन्हें जारी किया गया है आदेश

अपर मुख्य सचिव ने चिकित्सा शिक्षा के आयुक्त, स्वास्थ्य सेवाएं और आयुष के संचालक, खाद्य एवं औषधि प्रशासन के नियंत्रक , प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों के डीन, मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारियों, सिविल सर्जन और सह मुख्य अस्पताल अधीक्षकों, जिला आयुर्वेद अधिकारियों को ये आदेश जारी किया गया है।

‘मुख्य सचिव का तुगलकी फरमान’

वहीं, छत्तीसगढ़ प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के ओपी शर्मा ने कहा, अपर मुख्य सचिव का आदेश तुगलकी फरमान है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए। यदि कोई अधिकारी मनमानी करता है और उसकी शिकायत करनी है तो कैसे किया जाएगा। किसी को किसी से भी मिलने से नहीं रोका जाना चाहिए। आदेश का कर्मचारी विरोध करेंगे।