उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में ऑनलाइन टिकट में कालाबाजारी का मामला सामने आया है। जहां पार्क के SDO ने टिकट बुक करवाने के बाद न पहुंचने वाले पर्यटकों (Bandhavgarh Tiger Reserve) की टिकट पर अन्य पर्यटकों को एंट्री दे दी। मामले का खुलासा हुआ तो पार्क प्रबंधन में हड़कंप मच गया।
वर्षों पुरानी परंपरा के दिन लद चुके हैं
दरअसल, राष्ट्रीय उद्यान बांधवगढ़ (Bandhavgarh Tiger Reserve) अपने हरे-भरे जंगलों, शुद्ध आबो-हवा और दुर्लभ वन्यजीवों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां आने वाला हर सैलानी स्थानीय लोगों का सद्व्यवहार और पार्क अमले की ईमानदारी अपनी यादों में लेकर वापस जाता है। यही खासियत है जो पर्यटकों को बार-बार आने के लिये प्रेरित करती है। लगता है कि वर्षों पुरानी इस परंपरा के दिन अब लद चुके हैं।
पैसा कमाऊ नीति में शामिल जिम्मेदार
अब यहां पैसा कमाऊ सोच और पर्यटकों से पैसा ऐंठने वाली नीति पनप रही है। पर्यटकों का शोषण करने वाली नीति बरसों पुराने सदव्यवहार पर हावी होती नजर आ रही है। ये कारनामा किसी चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का नहीं है बल्कि इसमें खुद जिम्मेदार अधिकारी शामिल हैं। टिकटों की कालाबाजारी का आलम तो ये है कि ऑनलाईन बुकिंग करके दूसरे लोगों को खुलेआम बेचे जा रहे हैं। ऐसा ही एक मामला इन दिनों खासा चर्चा में है, जिसमें पार्क के एक एसडीओ ने यूके के कुछ पर्यटकों की टिकट पर गोला लगाकर दूसरे सैलानियों के नाम पेन से लिखकर उनको सफारी में एंर्टी दे दी।
पार्क के सहायक संचालक की कारस्तानी
बता दें कि दो विदेशी नागरिकों ने 25 दिसंबर 2023 को 23 अप्रैल 2024 के लिये बांधवगढ़ में सफारी का टिकट एक एजेंसी के जरिये बुक कराया था। सूत्रों का दावा है कि उनके नहीं आने पर पार्क के सहायक संचालक दिलीप मराठा ने टिकट पर गोला लगा कर उसे शैरोन और सिमोन के नाम आवंटित कर दिया। जो कि पूरी तरह से नियमविरूद्ध और कूटरचना की श्रेणी में आता है।
पार्क प्रबंधन पर महंगे दामों पर टिकट बेचने का आरोप
जानकारों का कहना है कि बुकिंग के बाद यदि पर्यटक नहीं आता है, तो उसके द्वारा जमा की गई राशि लैप्स हो जाती है। वहीं उसकी जगह किसी अन्य व्यक्ति से शुल्क लेकर ही टिकट बुक की जा सकती है, परंतु दिलीप मराठा द्वारा उसी टिकट पर दूसरे पर्यटकों को पार्क में जाने की अनुमति दे दी गई। कुछ मामलों में तो पार्क संचालक खुद ही फर्जी नाम से सफारी के स्लॉट बुक कर लेते हैं और आस-पास के रिसॉर्ट की मदद से सफारी के इच्छुक पर्यटकों को महंगे दामों पर बेच देते हैं। जिसमें यहां सभी लोगों का अच्छा कमीशन बन जाता है।
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अपनी जेब को भरने में मशगूल प्रबंधन
ये कोई पहली बार नहीं है कि जब टिकटों में कालाबाजारी का मामला सामने आया हो। सिर्फ बाधवगढ़ टाइगर रिज़र्व की बात करें तो इससे पहले भी ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। जब सफारी स्लॉट बुकिंग के लिए वेबसाइट ओपन होती है तो चंद मिनटों में ही सारे स्लॉट फुल हो जाते हैं। इससे पर्यटकों को काफी परेशानी होती है। ऐसे मामलों पर पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं लेकिन पार्क प्रबंधन का पूरा ध्यान अपनी जेबों को भरने में रहता है।
ऑनलाईन टिकट में हो रहे फर्जीवाड़े और पार्क के वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत के चलते बांधगवगढ़ की साख पर बट्टा लग रहा है। पार्क के उच्च अधिकारी भी कह रहे हैं कि टिकट बदले जाने का अधिकार किसी को भी नहीं है। हालांकि अभी तक इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।