सागर। मध्यप्रदेश के सागर जिले की बंडा तहसील में साल 2019 में नाबालिग के साथ गैंगरेप के बाद उसकी हत्या करने के आरोपी सगे भाई रामप्रसाद अहिरवार और बंसीलाल अहिरवार को सागर जिला अस्पताल ने फांसी की सजा सुनाई थी। जिला कोर्ट के फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट ने बंसीलाल को दोषमुक्त कर दिया। वहीं, बंसीलाल की फांसी की सजा को 25 साल कैद में बदल दिया। (Jabalpur High Court)
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इसलिए की सजा माफ
मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि आरोपी रामप्रसाद अपना जुर्मू कबूल कर लिया था। इस वजह से उसकी सजा माफ कर दी जाए। जस्टिस विवेक अग्रवाल एवं जस्टिस देव नारायण मिश्रा की पीठ ने सागर जिला कोर्ट के फैसले को पलट दिया। हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि यह मामला रेयरेस्ट मामलों की कैटेगरी में नहीं आता है, जिसमें अपीलकर्ता को केवल मृत्युदंड ही दिया जाना उचित है। इस मामले में एक और आरोपी चाची सुशीला अहिरवार को भी कोर्ट ने बरी कर दिया गया है। वहीं, आरोपी नाबालिग दो भाइयों की सुनवाई किशोर न्यायालय में चल रही है। (Jabalpur High Court)
क्या है पूरा मामला?
यह घटना सागर जिले के बंडा में 13 मार्च 2019 को हुई थी। अगले दिन 14 मार्च को बच्ची के पिता ने बंडा पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें उसने कहा था कि उसकी बेटी को अज्ञात व्यक्ति बहला-फुसलाकर ले गया। इसके बाद पुलिस ने तलाशी अभियान चलाया, जिसमें बेरखेड़ी मौजाहार में बच्ची की सिर कटी लाश मिली।
इस मामले में पुलिस ने अज्ञात आरोपी के खिलाफ धारा 302 के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू की। नाबालिग की पीएम रिपोर्ट में गैंगरेप होने की बात सामने आई। जिसके बाद मामले में आईपीसी की धारा 376, 377 एवं 5/6 पॉक्सो एक्ट की धाराएं बढ़ाई गईं।
पुलिस के मुताबिक आरोपियों ने बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इसके बाद हंसिया से गला काटकर उसकी बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी। बंडा थाना पुलिस ने मामले की जांच रिपोर्ट जिला अदालत के सामने पेश की। मामले की गंभीरता के देखते हुए कोर्ट ने इस प्रकरण को रेयरेस्ट मामलों की कैटेगरी रखा। इसी आधार पर कोर्ट ने आरोपी रामप्रसाद अहिरवार को धारा 363, 366, 201 में 7-7 साल का सश्रम कारावास व जुर्माना एवं धारा 376, 302 में दोषी करार देते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई।
वहीं, आरोपी बंशीलाल अहिरवार को आईपीसी की धारा 201 भादवि में 7 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 1000 रुपए जुर्माना व आईपीसी की धार 376 और 302 दोषी करार देते हुए मृत्युदंड की सजा सुनाई।