भोपाल, मनोज राठौर। आपने अब तक देखा कि वोटिंग पर्सेंट कम या फिर ज्‍यादा होने से किसे फायदा और किसे नुकसान है। बीजेपी और कांग्रेस के अपने-अपने दावे हैं। लेकिन हम आपको आगे अपनी इस स्‍पेशल रिपोर्ट में बतायेंगे कि आदिवासी सीटों पर क्‍यों बीजेपी और कांग्रेस का जादू नहीं चला। इतना ही नहीं आधी आबादी भी वोटिंग से दूर रही। देखिए हमारी ये स्‍पेशल रिपोर्ट…

प्रदेश की सभी 29 सीटों पर वोटिंग पर्सेंट के हिसाब से सभी दलों का जीत हार का अपना अलग-अलग समीकरण है। लेकिन इस बीच ऐसा तथ्‍य भी सामने आया, जिसमें आदिवासी वोटर्स को मतदान के लिए घरों से निकालने में राजनीतिक दल असफल रहे। यहां की 10 आरक्षित सीटों पर 4.1 प्रतिशत मतदान कम हुआ। दरअसल, प्रदेश की अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित शहडोल, मंडला, रतलाम, धार, खरगोन, बैतूल और अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित भिंड, टीकमगढ़, देवास और उज्जैन लोकसभा सीट पर पिछले चुनाव की तुलना में मतदान प्रतिशत कम रहा। इन सीटों पर सभी सियासी दलों के बड़े नेताओं के साथ चुनाव आयोग ने जमकर प्रचार-प्रसार किया था। सभी को इन सीटों पर बंपर वोटिंग की उम्‍मीद थी।

-2019 के चुनाव में हुई 73.5 प्रतिशत वोटिंग
-2024 में वोटिंग 69.4 प्रतिशत पर सिमटी
-आदिवासी नेता वोटर्स को नहीं लुभा सके

चौथे चरण की संसदीय सीट रतलाम में मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनिता नागर सिंह चौहान और कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया के बीच मुकाबला है। इस सीट पर नागर सिंह चौहान के साथ दो अन्य मंत्री चैतन्य कुमार काश्यप और निर्मला भूरिया ने भी चुनाव प्रचार किया। इतना ही नहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित 10 लोकसभा सीटों में से दो पर केंद्रीय मंत्री और छह सांसद भी चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन वे भी अपने क्षेत्र में मतदान बढ़ाने में सफल नहीं रहे। शहडोल में सांसद और भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह और कांग्रेस प्रत्याशी फुंदेलाल सिंह मार्कों में मुकाबला है। मंडला में केंद्रीय मंत्री और बीजेपी उम्‍मीदवारफग्गन सिंह कुलस्ते और कांग्रेस के विधायक ओमकार सिंह मरकाम समेत धार सीट पर सांसद और भाजपा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर का मुकाबला कांग्रेस के उम्‍मीदवार राधेश्याम मुवेल से है।

खरगोन से सांसद और बीजेपी उम्‍मीदवार गजेंद्र पटेल का कांग्रेस के पोरलाल खरते, बैतूल से सांसद और भाजपा प्रत्याशी दुर्गादास उइके का कांग्रेस के रामू टेकाम, टीकमगढ़ से केंद्रीय मंत्री और भाजपा प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार खटीक का कांग्रेस के पंकज अहिरवार, देवास से सांसद और बीजेपी उम्‍मीदवार महेंद्र सिंह सोलंकी का कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय, उज्जैन में सांसद और भाजपा प्रत्याशी अनिल फिरोजिया का कांग्रेस के राजेंद्र मालवीय से मुकाबला है। बाकी आरक्षित सीटों के अलावा अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड में जरूर 0.51 प्रतिशत मतदान बढ़ा है। यहां से सांसद और भाजपा प्रत्याशी संध्या राय और कांग्रेस से फूल सिंह बरैया के बीच मुकाबला है।

लोकसभा सीट 2019 2024 मतदान घटा
शहडोल 74.73% 64.68% 10.05%
मंडला 77.76% 72.84% 4.92%
रतलाम 75.66% 72.86% 2.8%
धार 75.25% 71.50% 3.75%
खरगोन 77.82% 75.79% 2.03%
बैतूल 78.15% 73.53% 4.62%
टीकमगढ़ 66.57% 60.00% 6.57%
देवास 79.46% 74.86% 4.6%
उज्जैन 75.40% 73.03% 2.37%

आदिवासियों के साथ आधी आबादी ने भी राजनीतिक दलों को जोरदार झटका दिया। इस चुनाव में आधाी आबादी का वोट प्रतिशत भी कम दर्ज किया गया। सभी सियासी दलों के वादों का इस वोट बैंक पर भी कोई असर नहीं पड़ा। इस बार प्रदेश में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत कम रहा।
प्रदेश में 2 करोड़ 73 लाख 87 हजार122 महिला वोटर्स हैं। जिसमें से 64.24 प्रतिशत महिला मतदाताओं की भागीदारी ही रही। ये 2019 के चुनाव की तुलना में 2.51 प्रतिशत कम रहा। इसके उलट पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्विजय सिंह और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की सीट पर जरूर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया। भिंड, ग्वालियर और सागर संसदीय क्षेत्र में भी महिलाएं आगे रहीं। केवल बालाघाट लोकसभा क्षेत्र ऐसा है, जहां महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया। बाकी सभी सीटों पर पुरुष मतदाता ही आगे रहे हैं औसत महिला मतदान में भी प्रदेश में पिछले चुनाव की तुलना में 4.24 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2019 में 68.48 प्रतिशत मतदान हुआ था।

-23 सीटों पर आधी आबादी का वोट बैंक घटा
-2019 की तुलना में कम रहा वोटिंग पर्सेंट
-सीधी, रीवा, इंदौर, सतना में सबसे कम वोटिंग
-विदिशा, गुना, राजगढ़ में सबसे ज्‍यादा वोटिंग

प्रदेश की छह सीटों के अलावा बाकी 23 सीटों पर महिलाओं का मतदान 2019 के चुनाव की तुलना में घटा है। इनमें सीधी लोकसभा क्षेत्र में 13.17 प्रतिशत, रीवा में 12.6 प्रतिशत, इंदौर में 11.41 प्रतिशत, सतना में 10.29 प्रतिशत, शहडोल में 9.58 प्रतिशत, जबलपुर में 8.52 प्रतिशत, भोपाल में 1.78 प्रतिशत और ग्वालियर में 3.05 प्रतिशत महिला का मतदान कम रहा। शिवराज सिंह चौहान के विदिशा सीट पर 70.78 प्रतिशत महिला मतदाताओं ने मतदान किया, जो 2019 के चुनाव की तुलना में 3.81 प्रतिशत अधिक है। यह अंतर प्रदेश के सभी 29 लोकसभा क्षेत्रों में सर्वाधिक है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की राजगढ़ सीट पर 71.82 प्रतिशत महिला मतदान रहा, जो पिछले चुनाव की तुलना में 3.42 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन क्षेत्र गुना में 68.60 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया। जो 2019 की तुलना में 3.18 प्रतिशत अधिक है। इसके साथ भिंड में महिला मतदान में 1.99 प्रतिशत का अंतर आया है। यहां 2019 में 49.37 प्रतिशत महिलाओं ने मतदान किया था, जो अब बढ़कर 51.36 प्रतिशत हो गया। सागर संसदीय क्षेत्र में भी 59.45 से बढ़कर महिला मतदान 60.59 हो गया यानी 1.14 प्रतिशत की वृद्धि पिछले चुनाव की तुलना में हुई।

2023 विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लाड़ली बहना योजना का असर देखा गया था। लेकिन कुछ महीनों बाद हुए लोकसभा चुनाव में इसका असर अधिकांश सीटों पर फिका साबित हुआ। कांग्रेस जरूर बीजेपी की योजनाओं को खोखला करार दे रही है। वहीं बीजेपी कम वोटिंग प्रतिशत को लेकर अलग तर्क दे रही है। सबसे अपने-अपने तर्क और पक्ष हैं। वोटिंग प्रतिशत किसी भी वर्ग का कम रहा हो या फिर ज्‍यादा। इससे पूरे चुनाव की तुलना सियासी तौर पर करना गलत होगी। जब परिणाम आयेंगे, तो ये साफ हो जायेगा कि किस वर्ग पर किस सियासी दल का जादू चला।

प्रदेश में कम और ज्‍यादा वोटिंग के अलग-अलग सियासी मायने निकाले जा रहे हैं। मौजूदा स्‍थिति में बीजेपी के पास 29 सीटों में से 28 सीटे हैं। वहीं कांग्रेस के पास एक मात्र छिंदवाड़ा की सीट है। ऐसे में कांग्रेस अपने नंबर गेम को बढ़ाना चाहती है, तो बीजेपी कांग्रेस की एक सीट को भी उससे छीनना चाहती है। सबके अपने-अपने दांव पेंच है। लेकिन प्रदेश की जनता तय करेगी कि उसे किस दल को कितनी सीट देना है। किसे हारना है और किसे जीतना है।