भोपाल। वन विभाग ने एक नया डिवाइस बनाया है, जिससे वनों में लगे अनमोल पेड़ों की देखभाल और रक्षा की जा सकती है। यह डिवाइस सेंसर आधारित स्मार्ट प्लांटेशन मॉनिटरिंग कहलाता है, जो पहले सिर्फ रिसर्च सेंटर में ही प्रयोग किया जाता था। और अब डिवाइस का प्रयोग पहली बार रीवा वन विभाग ने अपने जंगलों में किया है।
डिवाइस का नाम और यह काम कैसे करता है?
इस डिवाइस को स्मार्ट प्लांटेशन मॉनिटरिंग डिवाइस (SPMD) के नाम से जाना जाता है, जो सोलर एनर्जी का उपयोग करता है। इसमें कोई बिजली की आवश्यकता नहीं होती है, इस डिवाइस में एक सेंसर होता है, जो पौधों की जड़ों की मिट्टी में लगाया जाता है। यह सेंसर मिट्टी की नमी को मापता है, और इसका डेटा एक डेटा लॉगर को भेजता है और डेटा लॉगर इंटरनेट क्लाउड पर। जिससे वन विभाग के अधिकारी एक एप के जरिए देख सकते हैं। इसकी ख़ास बात यह है कि इसे कही से भी देखा जा सकता है।
इस डिवाइस से क्या फ़ायदा होता है ?
इस डिवाइस का फायदा यह है कि इससे पता चलता है कि पौधों को कब और कितना पानी देना है। इससे पौधों को ज्यादा या कम पानी देने का खतरा नहीं रहता है। जिससे पौधों का विकास और स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। इससे वन विभाग को पौधों की देखभाल में सुविधा होती है।
इस डिवाइस से वन विभाग को एक और लाभ होता है, वह है पौधों की सुरक्षा। जंगलों में लगे चंदन, सागौन, शीशम जैसे कीमती पौधों को चोरी या कटने से बचाने के लिए यह डिवाइस कारगर है। इस डिवाइस में एक अलार्म सिस्टम होता है, जिससे अगर कोई पौधा काटा जाए, तो फौरन वन विभाग को अलर्ट करता है। इससे वन विभाग को चोरों को पकड़ने में सहायता मिलती है।
इस डिवाइस को कहां इस्तेमाल किया जा रहा ?
वन विभाग के डीएफओ ने बताया कि इस डिवाइस का प्रयोग अभी केवल रीवा जिले में ही हुआ है। डिवाइस की कीमत लगभग 80,000 रुपये है, उन्होंने कहा कि वह इस डिवाइस को अन्य जिलों में भी लगाने का प्रयास करेंगे, ताकि वनों की संरक्षण और संवर्धन में सुधार हो। उन्होंने यह भी कहा कि पौधों में खाद की कमी, पीएच स्तर पता करने वाली तकनीक पर भी काम करेंगे।