भोपाल, विवेक राणा | 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद अब 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले आरएसएस भाजपा के लिए बनाएगी पृष्ठभूमि। पृष्ठभूमि बनाने के लिए आरएसएस के बड़े नेताओं के मध्य प्रदेश पर दौर देखने को मिलेंगे। हालाँकि विधानसभा चुनाव की जीत में भी इनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है आरएसएस का, 2024 को लेकर आरएसएस का क्या है मास्टर प्लान?

लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच संघ भी एक्टिव हो गया है। आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत 6 फरवरी से 8 फरवरी तीन दिनों तक उज्जैन में रहेंगे। फिर मुरैना में 10 और 11 फरवरी को मध्य भारत प्रांत के प्रचारकों की बैठक में शामिल होंगे। इस दौरान उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य भवन में कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होंगे। इस दौरान संघ मालवा-निमाड़ में संगठन को लेकर मंथन करेगा। मालवा संघ का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है, जिसमें उज्जैन की भूमिका भी सबसे अहम रहती है। ऐसे में माना जा रहा है कि संघ प्रमुख, प्रांत के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ सालभर के काम-काज की समीक्षा कर आगे का टारगेट तय करेंगे, इस बैठक में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत के साथ सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य, अरुण कुमार, कृष्णगोपाल समेत सात बड़े पदाधिकारी शामिल होंगे। हालांकि बीजेपी का कहना है कि आरएसएस एक सामाजिक संगठन है जो समाज के हित में काम करता है।

विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत मिलने के बाद अब भाजपा लोकसभा चुनाव की तैयारी पर जुड़ गई है मध्य प्रदेश की लोकसभा सीटों की बात करें तो सबसे ज्यादा मालवा निवड रीजन में है वही उज्जैन, इंदौर ,मंदसौर ,खरगोन ,खंडवा ,रतलाम, देवास, धार सीटे ऐसे है, जहां भाजपा का गढ़ माना जाता है क्योंकि 2019 के चुनावी आंकड़े बताते हैं कि मालवा निमाड़ रीजन में भाजपा की सक्रियता ज्यादा है। हलाकि लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए इन सीटों में आरएसएस पूरी तरह सक्रिय हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आते ही आरएसएस को चुनावी जमावट याद आने लगती है जबकि संघ प्रमुख बोलते हैं कि आरएसएस एक सामाजिक संगठन है। जहां विधानसभा चुनाव में जीत का तक भाजपा सरकार को जीत का ताज पहनाने के बाद अब मिशन 2024 के लिए आरएसएस जुट गया है। अब देखना होगा कि आरएसएस की जमावट लोकसभा चुनाव में भाजपा पार्टी को कितना फायदा दिला पाती है।