भोपाल,मनोज राठौर। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ अब बीजेपी और कांग्रेस ने चुनावी प्रचार प्रसार में पूरी ताकत झोंक दी है। लेकिन दोनों दलों के उम्मीदवारों की बात करें, तो सभी एक दूसरे से कम नहीं हैं। उम्मीदवारों के जीतने के पीछे कई खूबियां हैं, तो हार के पीछे कई कमियां भी। भोपाल से देखिए हमारी ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट…
-चेहरों पर दांव, किसे मिलेगी जीत!
-खूबी और कमियों का सियासी विश्लेषण
-किसी की पकड़ कमजोर, तो कई हैं दमदार
-कांग्रेस के सामने चुनौतियों की भरमार
-विस में जीत के बाद बीजेपी की राह आसान
प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस ने चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं। लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों ने पहले से ज्यादा सक्रियता को बढ़ा दिया है। हर सीट का अपना सियासी समीकरण है। इसी समीकरण को साधने में तमाम उम्मीदवार जुटे हैं। लेकिन इन उम्मीदवारों की कुछ खूबियां है, तो कुछ कमियां भी।
भिंड लोकसभा सीट…
बीजेपी उम्मीदवार संध्या राय
खूबी…
महिला कैंडिडेट
बीजेपी का गढ़
कमियां…
क्षेत्र में विरोध
बाहरी प्रत्याशी
कांग्रेस उम्मीदवार फूल सिंह बरैया
खूबी…
दलित चेहरा
स्थानीय नेता
कमियां…
विवादित बयानबाजी
खेमेबाजी
सीधी लोकसभा सीट…
बीजेपी उम्मीदवार राजेश मिश्रा
खूबी…
सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता
संगठन में पकड़
कमियां…
अतिक्रमण का आरोप
मैदानी पकड़ कमजोर
कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर पटेल
खूबी…
स्थानीय नेता
ओबीसी चेहरा
जनता में पकड़
कमियां…
विधानसभा चुनाव हारे
गुटबाजी
मंडला लोकसभा सीट..
बीजेपी उम्मीदवार फग्गन सिंह कुलस्ते
खूबी…
आदिवासी नेता
बीजेपी का गढ़
ग्रामीण क्षेत्रों में पकड़
कमियां…
विधानसभा चुनाव हारे
उद्योगों पर ध्यान नहीं
पलायन नहीं रोक सके
कांग्रेस उम्मीदवार ओमकार सिंह मरकाम
खूबी…
जनता में अच्छी पकड़
लगातार 4 बार के विधायक
आदिवासी चेहरा
कमियां…
गुटबाजी
शहर में पकड़ कमजोर
बैतूल लोकसभा सीट…
बीजेपी उम्मीदवार दुर्गादास उइके
खूबी…
संगठन में पकड़
आदिवासी चेहरा
कमियां…
विकास पर ध्यान नहीं
जमीनी स्तर पर पकड़ कमजोर
चुनाव के समय सक्रिय होते
कांग्रेस उम्मीदवार रामू टेकाम
खूबी…
आदिवासी क्षेत्रों में एक्टिव
चुनाव हारने के बाद भी सक्रिय
कमियां…
चुनाव में लगातार हार मिल रही
मैदानी नेताओं, कार्यकर्ताओं से दूरी
सतना लोकसभा सीट…
बीजेपी उम्मीदवार गणेश सिंह
खूबी…
लगातार चुनाव जीतने में महारथ
हाईकमान में अच्छी पकड़
कमियां…
स्थानीय नेताओं से तालमेल में कमी
क्षेत्र में पकड़ कमजोर
विधानसभा चुनाव हारे
कांग्रेस उम्मीदवार सिद्धार्थ कुशवाहा
खूबी…
ओबीसी चेहरा
जमीनी पकड़ मजबूत
कुशवाहा समाज का बड़ा नेता
कमियां…
गुटबाजी
व्यापारी वर्ग में नाराजगी
प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक बूथ पर हमारे कार्यकर्ता तैनात हैं। सभी चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। मध्यप्रदेश में इतिहास रचा जायेगा। वोटिंग प्रतिशत बढ़ेगा और बीजेपी हर बूथ भी जीतेंगे। सभी 29 जीते बीजेपी जीतेगी।
अब हम छिंदवाड़ा, टीकमगढ़, देवास, धार और खरगोन लोकसभा सीट पर उम्मीदवारों के सियासी समीकरण की बात करते हैं। यहां के समीकरण भी उम्मीदवारों के हिसाब से बदल रहे हैं।
छिंदवाड़ा लोकसभा सीट…
बीजेपी उम्मीदवार बंटी साहू
खूबी…
जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़
संगठन का सपोर्ट
कमियां…
विधानसभा चुनाव में लगातार हार
गुटबाजी
कांग्रेस उम्मीदवार नकुल नाथ
खूबी…
कांग्रेस का गढ़
क्षेत्र में निरंतर विकास
कमियां…
जमीनी सक्रियता कम
परिवारवाद का आरोप
धार लोकसभा सीट…
बीजेपी उम्मीदवार अनीता सिंह नागर
खूबी…
महिला उम्मीदवार
आदिवासी चेहरा
ग्रामीण क्षेत्र में अच्छी पकड़
कमियां…
पहला बड़ा चुनाव
परिवारवाद का आरोप
कांग्रेस उम्मीदवार राधेश्याम मुवेल
खूबी…
हाईकमान से बेहतर तालमेल
संगठन का सपोर्ट
सबसे ज्यादा विधानसभा सीट जीती
कमियां…
गुटबाजी
पहला बड़ा चुनाव
इसके अलावा टीकमगढ़ में बीजेपी उम्मीदवार वीरेंद्र खटीक और कांग्रेस उम्मीदवार पंकज अहिरवार में मुकाबला है। वीरेंद्र खटीक अपनी साफ सुधरी छवि की वजह से चर्चित है और लगातार चुनाव जीत रहे हैं। इस सीट पर वीरेंद्र खटीक का पलड़ा भारी लग रहा है। इसी तरह देवास सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार राजेंद्र मालवीय और बीजेपी के उम्मीदवार महेंद्र सिंह सोलंकी में टक्कर है। साथ ही खरगोन में कांग्रेस उम्मीदवार पोरलाल खरते और बीजेपी उम्मीदवार गजेंद्र सिंह पटेल में मुकाबला है। कांग्रेस नेता महेंद्र सिंह चौहान का कहना है कि बीजेपी गुमराह करने का काम कर रही है। जो लोग चुनौतियां से लड़ नहीं सकते हैं, वो पार्टी छोड़ रहे हैं। इस बार चौंकाने वाले परिणाम आने वाले हैं।
कांग्रेस के पास पाने के लिए प्रदेश की पूरी लोकसभा सीट हैं। लेकिन तमाम चुनौतियां के बीच कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। कांग्रेस के नेता भी बीजेपी में पलायन कर रहे हैं। इधर, मोदी के चेहरे पर विधानसभा चुनाव प्रचंड बहुमत के साथ जीतने के बाद बीजेपी के हौंसले बुलंद हैं। फिर लोकसभा चुनाव में बीजेपी मोदी फैक्टर के सहारे सभी सीटे जीतने का दम भर रही है।