भोपाल। मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार में मंत्री नागर सिंह चौहान (Nagar Singh Chauhan) ने पद से इस्तीफा देने की बात कही है। उन्होंने कहा है कि उन्हें मंत्री पद नहीं चाहिए, वह विधायक बने रहकर ही जनता की सेवा करना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह भोपाल आकर पार्टी आलाकमान के सामने अपनी बात रखेंगे। इसके बाद ही कोई बड़ा फैसला करेंगे।

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कहा जा रहा है कि अलीराजपुर से विधायक और मंत्री नागर अपना प्रभार वाला मंत्रालय वापस लिए जाने से नाराज हैं। इसी वजह से उन्होंने पद से इस्तीफा देने की बात कही है।

दरअसल, रविवार को मोहन कैबिनेट में बदलाव हुआ था। हाल ही में कैबिनेट का हिस्सा बने पूर्व कांग्रेसी विधायक रामनिवास रावत को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सौंपा गया है। इस विभाग का प्रभार पहले चौहान के पास था। इसके बाद उन्हें अनूसूचित जाति कल्याण विभाग सौंपा गया। यही उनकी नाराजगी की वजह भी माना जा रहा है।

बड़ा आदिवासी चेहरा हैं चौहान

नागर सिंह चौहान की गिनती मध्यप्रदेश बीजेपी के बड़े आदिवासी नेताओं में होती है। उनकी राजनीति में एंट्री आरएसएस के जरिये हुई। संघ के जुझारू कार्यकर्ता रहे चौहान को साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्हें बीजेपी से टिकट दिया गया था। इस चुनाव में जीत के साथ उनकी अलीराजपुर विधानसभा में लोकप्रियता दिनों दिन बढ़ती ही गई। 2003 के बाद उन्होंने 2008 और 2013 विधानसभा में भी जीत दर्ज की। हालांकि 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

2023 में बीजेपी ने उन पर एक बार और भरोसा जताते हुए अलीराजपुर विधानसभा से टिकट दिया। इस बार नागर सिंह ने पार्टी आलाकमान को निराश नहीं किया और भारी मतों से चुनाव जीता। इसके बाद उन्हें सीएम मोहन यादव की  कैबिनेट का हिस्सा भी बनाया गया था। नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता चौहान रतलाम लोकसभा सीट से बीजेपी की सांसद हैं।