बीड़ । होली, रंगों का त्योहार, जो न सिर्फ रंगों की बौछार लाता है बल्कि दिलों को भी एक-दूसरे के करीब ले आता है। भारत के विविध राज्यों में इसे अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के बीड़ जिले की होली कुछ खास है। यहां की होली में नए दमाद को गधे पर बैठाकर गांव का चक्कर लगाने की अनूठी परंपरा है।

इस अनोखी परंपरा की शुरुआत विडा येवता गांव से हुई, जहां एक देशमुख परिवार ने 86 वर्ष पहले इसे आरंभ किया था। उस समय एक दामाद ने होली पर रंग लगवाने से मना कर दिया था, जिसके बाद ससुर ने उसे फूलों से सजे गधे पर बैठाकर गांव में घुमाया। इस परंपरा का मकसद दामाद का अपमान नहीं, बल्कि हंसी-ठिठोली और सम्मान देना है।

होली के दिन, गांव के लोग नए दमाद को गधे पर बैठाकर उसे रंग लगाते हैं और फिर पूरे गांव में घुमाते हैं। इस दौरान, दामाद को जूते-चप्पलों की माला पहनाई जाती है और अंत में उसे गधा भी गिफ्ट किया जाता है। यह परंपरा न सिर्फ गांववालों के लिए, बल्कि दामाद के लिए भी एक यादगार अनुभव बन जाती है।

बीड़ जिले की इस होली की खासियत यह है कि यहां के लोग दामाद को सम्मान के साथ विदा करते हैं, नए कपड़े और सोने की अंगूठी देकर। इस तरह, बीड़ जिले की होली न सिर्फ रंगों का त्योहार है, बल्कि यह सम्मान और परंपरा का भी जश्न है।

इस अनोखी होली की परंपरा ने बीड़ जिले को एक विशेष पहचान दी है, और यहां की होली अब पूरे देश में प्रसिद्ध हो चुकी है। यह परंपरा न केवल गांव के लोगों को एकजुट करती है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की विविधता और उत्सव की भावना को भी दर्शाती है। इस त्योहार के दौरान, गांव के हर एक व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान और उनके दिलों में उमंग देखी जा सकती है।