भोपाल, मनोज राठौर। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस की तैयारियां जोरो शोरों पर है। बीजेपी ऑपरेशन क्लीन स्वीप के जरिए सभी सीटें जीतने का दावा कर रही है, तो कांग्रेस अपने प्रदर्शन को सुधारने की कोशिश कर रही है। आदिवासी वोटर्स और आरक्षित सीटों पर दोनों ही दलों का सियासी समीकरण टिका है। देखिए हमारी ये रिपोर्ट…
-बीजेपी का ऑपरेशन ‘क्लीन स्वीप’
-आदिवासी वोटर्स से जीत पक्की
-सभी आरक्षित सीटों पर कब्जा
-लोकसभा चुनाव की पूरी तैयारी
-बीजेपी का क्लीन स्वीप का दावा
-कांग्रेस का 22 से 24 सीट जीतने का टारगेट
मध्यप्रदेश में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस का आदिवासी वर्ग के साथ आरक्षित सीटों पर फोकस है। सभी आरक्षित सीटें इस समय बीजेपी के कब्जे में है। ऐसे में बीजेपी का दावा है कि सभी 29 सीट जीतकर क्लीन स्वीप करेंगे। आदिवासी वर्ग को साधने के लिए उनसे जुड़ी तमाम योजनाओं को शुरू कर दिया है। आदिवासी क्षेत्रों में प्राथमिक शिक्षा से जोड़ने के लिए आंगनवाड़ी खोलने का प्लान है। केंद्र की योजनाओं को भी आदिवासी क्षेत्रों में तेजी से ले जाया जा रहा। मध्यप्रदेश में आदिवासी आबादी 23 प्रतिशत है। इस वर्ग को जो भी पार्टी साध लेती है, जीत उसकी पक्की हो जाती है।
-रजनीश अग्रवाल, प्रदेश बीजेपी मंत्री
आदिवासी वर्ग के साथ आरक्षित सीट पर बीजेपी की अच्छी पकड़ है। प्रदेश की 29 लोकसभा सीट में 28 बीजेपी के पास, तो एक कांग्रेस के पास है। ऐसे में सभी आरक्षित सीटों पर बीजेपी का ही कब्जा है। मौजूदा सियासी समीकरण के मद्देनजर इस बार भी मोदी की लहर और सरकारी योजनाओं को जादू चलेगा।
फैक्ट फाइल
-प्रदेश में 47 आरक्षित विधानसभा सीट
-2023 के चुनाव में 47 में 24 सीटें बीजेपी को मिली
-2018 के चुनाव में 16 सीट मिली थी
-आदिवासी वोट कम मिलने के कारण बीजेपी हारी थी
लोकसभा चुनाव की बात करें, तो 10 सीटें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं. जिनमें भिंड, देवास, टीकमगढ़ और उज्जैन, ये चार सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं. बैतूल, धार, खरगोन, मंडला, रतलाम और शहडोल, ये छह सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। सभी आरक्षित सीट पर बीजेपी का कब्जा है।
-केके मिश्रा, प्रदेश कांग्रेस मीडिया सेल अध्यक्ष
आदिवासी वर्ग लोकसभा चुनाव की जीत की चाबी है। ये चाबी फिलहाल बीजेपी के पास है। कांग्रेस जरूर दम भरते हुए 22 से 24 सीट जीतने का दावा कर रही है। बीजेपी अपनी रफ्तार से तैयारियों में जुटी है, लेकिन कांग्रेस के सामने नए टीम के साथ चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती है।