जहां कभी हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने किया था सरकार का विरोध, आज वहीं के ग्रामीण लंबी कतार में लग कर पिछले 6 दिनों से सरकार की योजनाओं का लाभ लेने पहुंच रहे हैं सिलगेर
सुकमा,नवीन कश्यप। बस्तर संभाग के सबसे अधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहे जाने वाले सुकमा (Sukma) जिले की तस्वीर अब बदल रही है। नक्सलगढ़ कहे जाने वाले इलाकों में सुरक्षाबल के बढ़ते प्रभाव के चलते अब क्षेत्र के ग्रामीण मुख्य धारा से जुड़ रहे हैं और सरकार की योजनाओं का लाभ लेने के लिए आगे आ रहे हैं। दरअसल, सुकमा कलेक्टर हरिस एस के निर्देश के बाद सुकमा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र में बसे सिलगेर 6 दिवसीय शिविर का आयोजन किया गया ताकि ग्रामीणों को आवश्यक दस्तावेज आसानी से बनाया जा सके। जिसके बाद इस शिविर में हजारों की संख्या में ग्रामीण एकजुट हुए और आवश्यक दस्तावेजों के लिए फार्म दाखिल किया।
इसी गांव में सरकार के विरोध में सबसे लंबे समय तक चला था आंदोलन
एक समय था जब 17 मई 2021 से सिलगेर में सरकार के विरोध में बस्तर का सबसे अधिक दिनों तक चलने वाला आंदोलन शुरू हुआ था। करीब यह आंदोलन 3 सालों तक चला और आज 3 साल बाद वही ग्रामीण जो सरकार के विरोध में आंदोलन कर रहे थे। वो अब अपने लिए जरूरी दस्तावेज बनाने के लिए सिलगेर में पिछले 6 दिनों से कतार लगा कर अपनी बारी का इंतज़ार करते दिखे। यह शिविर जिला प्रशासन ने 6 दिनों के लिए सिलगेर में आयोजित किया था और 3 पंचायत के लोगों के कार्ययोजना के तहत आयोजित किया गया था। लेकिन इस शिविर में करीब 6-7 पंचायतों के हजारों ग्रामीण दस्तावेज बनाने मौजूद रहे। सुबह से ही ग्रामीणों की लाइन लग गई थी। छोटे—छोटे बच्चों को लेकर माताएं भी पहुंची हुई थी। बुजुर्ग व्यक्ति, महिला, पुरुष , युवक, युवती, छोटे बच्चे सभी वर्ग के लोग मौजूद रहे।
ग्रामीणों ने बताया कि उनके पास जरूरी दस्तावेज नहीं होने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था। नक्सल प्रभावित इलाके के निवासी होने की वजह से बिना आधार कार्ड के वे दूसरे इलाके में भी नहीं जाते थे। आधार कार्ड नहीं होने से संदिग्ध के तौर पर पुलिस उन्हें पकड़कर पूछताछ भी करती थी। इसके अलावा सभी जरूरी दस्तावेज जैसे बैंक अकाउंट, किसान क्रेडिट कार्ड, वन अधिकार पट्टा, राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, जाति-निवास प्रमाण पत्र सभी के लिए आधार कार्ड रहना अनिवार्य है. अब इस शिविर में आधार कार्ड बन गया। इसके अलावा अन्य दस्तावेज भी बनाया जा रहा है। राशन कार्ड नहीं होने से राशन नहीं मिलता था। अब राशन कार्ड भी इस शिविर में बनाया जा रहा है। स्कूलों में बच्चों के एडमिशन के लिए आधार कार्ड के साथ जाति निवास प्रमाण पत्र भी मांगा जाता है। अब इस शिविर में सभी दस्तावेज बनाने से शासकीय योजनाओं का लाभ भी मिलेगा।
आ रहे हैं आवेदन
सिलगेर के सरपंच कोरसा सन्नू ने बताया कि क्षेत्र के ग्रामीण सभी योजनाओ का लाभ लेना चाहते हैं। आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक अकाउंट, किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए आ रहे हैं। सबसे अधिक वन अधिकारी पट्टा बनाने के लिए आवेदन शिविर में आ रहा है। इसके अलावा उज्ज्वला योजना का फायदा लेने के लिए भी आवेदन आ रहा है। क्षेत्र के सभी ग्रामीण किसी योजना से वंचित नहीं रहना चाहते हैं। इसीलिए खुशी खुशी शिविर में पहुंच रहे हैं।
हिड़मा के गांव से पहुंचे लोग
इस शिविर में नक्सल संगठन के सबसे खूंखार नक्सली हिड़मा के गांव पूर्वती से भी सैकड़ो की संख्या में जरूरी दस्तावेज बनाने के लिए ग्रामीण शिविर में पहुंचे हुए थे। बीते दिनों जवानों ने हिड़मा के गांव को अपने कब्जे में लिया। और एक सुरक्षा कैम्प स्थापित किया था। इसके अलावा इस शिविर में टेकलगुडेम, जोनागुड़ा, सिलगेर, तिम्मापुरम, अलीगुड़ा, सुरपंगुड़ा, चिमलीपेंटा, बेदरे, मंडीमरका, गोंदपल्ली, परलागट्टा, कमरगुड़ा, मिसिगुड़ा जैसे आसपास के सभी गांव के ग्रामीण शिविर में उपस्थित रहे।
सुकमा के नक्सलगढ़ इलाके के आदिवासियों का यदि सरकारी दस्तावेज बनकर तैयार हो जाता है। तो उन्हें आगामी दिनों में होने वाले परेशानियों और कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ेगा और ना ही वे दस्तावेज के कारण दर दर भटकते को मजबूर होंगे। दस्तावेज बनने से सरकारी योजनाओं का उन्हें बेहतर तरीके से लाभ भी मिलेगा।