धार। भोजशाला में ज्ञानवापी की तर्ज पर आज से सर्वे शुरू हो चुका है। इसके लिए हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने सर्वे का आदेश दिया है। दरअसल हाई कोर्ट में कुछ सबूत पेश किए गए थे जिसके चलते आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया को वैज्ञानिक सर्वे के आदेश दिए गए थे। 1987 में ASI द्वारा भोजशाला के खुदाई कार्य के दौरान मिली मूर्तियों की रहस्यमय दुनिया अब सामने आई है।
यह सबूत और चिन्ह जिनके चलते ASI को मिला वैज्ञानिक सर्वे का आदेश
भोजशाला के खंबों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जो भारतीय संस्कृति के गहरे प्रमाण हैं। इस महत्वपूर्ण स्थल पर आस्था की अनगिनत कहानियां बसी हैं। भोजशाला में स्तंभों के ऊपर अष्टकमल बने हुए हैं, जो संस्कृति की अमूल्य धरोहर को दर्शाते हैं। खुदाई में भगवान कुबेर सहित हिन्दू देव व् देवताओं की 32 मूर्तियां मिली हैं।
इस खोज में मिले ऐतिहासिक संकेत दिखाते हैं कि भोजशाला में कई प्राचीन स्थल हैं, जैसे विशाल यज्ञ कुंड और गर्भ ग्रह के अलावा भोज राज के शासनकाल की यादें। राजा भोज ने अपने यांत्रिक कौशल के बारे में लिखा था, जिनमें से कालसर्प यंत्र और नागमणि बंद यंत्र भी शामिल हैं। भोजशाला में पाली भाषा में शिलालेखों में ओम नमः शिवाय और सीताराम के शब्द लिखे हुए हैं, जो इस स्थल के महत्व को और भी उजागर करते हैं।
इस खोज के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक यह भी है कि भोजशाला का परिसर अब भी आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, जैसे अक्ल कुइयां, जिसे माना जाता है कि मां सरस्वती के अभिषेक से पानी पवित्र होता है। ASI के कब्जे में जो एक कमरा है उसके दरवाजे के अगल- बगल दो द्वारपाल की मूर्तियां हैं जिनका नाम जय विजय है साथ ही ऊपर गणेश जी की मूर्ति भी है।
यह खोज भारतीय संस्कृति और इतिहास के गहरे रहस्यों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान करेगी। इससे न केवल हमारी पुरातात्विक धरोहर की पहचान होगी, बल्कि हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की समृद्धि और गौरव को भी साकार किया जा सकेगा।