रायपुर। सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी आरक्षण (SC-ST Bharat Bandh) में क्रीमी लेयर लागू करने की परमिशन देने के विरोध में दलित-आदवासी संगठनों ने बुधवार को 14 घंटे का भारत बंद बुलाया है। संगठनों का कहना है कि कोर्ट का यह फैसला दलित-आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है।

MP में भारत बंद का मिला-जुला असर, उज्जैन में भिड़े प्रदर्शनकारी और दुकानदार

छत्तीसगढ़ (SC-ST Bharat Bandh) में भारत बंद का असर देखने को मिला। राज्य के कई जिलों में बस, स्कूल, कॉलेज, बाजार और दुकानें बंद रहीं। दलित-आदवासी संगठनों के इस बंद का चैंबर ऑफ कॉमर्स, बहुजन समाज पार्टी, सर्व आदिवासी समाज और भीम सेना ने सपोर्ट किया। बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) ने तो अपने प्रत्येक जिलाध्यक्ष को बाजार बंद करवाने का जिम्मा सौंपा। गरियाबंद, मुंगेली, कांकेर जिलों में भारत बंद का व्यापक असर देखा गया। यहां सुबह से जरूरी सेवाओं को छोड़कर बस, स्कूल, कॉलेज, बाजार और दुकानें बंद रहीं।

कोंडागांव में उग्र हुई भीड़

भारत बंद के सपोर्ट में छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में प्रदर्शन हुआ। यहां कलेक्टर को ज्ञापन सौंपने जा रही भीड़ को पुलिस ने रोका। लेकिन, गुस्साई भीड़ ने बैरिकेड को तोड़ कलेक्ट्रेट के अंदर प्रवेश कर लिया।

उधर, धमतरी जिले में बंद का समर्थन कर रहे प्रदर्शकारियों ने 5 टीमें बनाई और शहर के हर हिस्से की दुकानों को बंद कराया। इस दौरान उन्होंने एसटी-एससी रिजर्वेशन के सपोर्ट में नारे लगाए। इस बंद का समर्थन इस समाज से जुड़े सरकारी कर्मचारियों ने भी समर्थन किया। वह एक दिन की छुट्टी लेकर आंदोलन का हिस्सा बने। इस दौरान किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए राज्य प्रशासन ने भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की।

क्यों हो रहा विरोध प्रदर्शन?

एससी-एसटी आरक्षण में सब कैटेगरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया है। उनके इस बंद का विपक्ष की लगभग सभी पार्टियों ने समर्थन किया है।

दरअसल कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर बड़ा निर्णय सुनाया था, जिसमें कहा था, ‘सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं।

उदाहरण के लिए- सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती हैं। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।’

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आया था, जिनमें कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में से भी एक कोटा होना चाहिए।