भोपाल | एमपी कांग्रेस के कई दिग्गजों की साख दांव पर है। हाईकमान उनपर लोकसभा का चुनाव लड़ने का दबाव बना रही। यदि ये नेता चुनाव हारे, तो उनके राजनीतिक भविष्‍य पर खतरा मंडरा सकता है। लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने अपने उम्‍मीदवारों का पैनल तैयार कर लिया है। इस पैनल में यूथ से लेकर सीनियर लीडर के नाम है। विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव में सभी 29 सीटें जीतने का दावा कर रही है, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी एक सीट की संख्‍यों को बढ़ाने की कोशिश कर रही। कांग्रेस के पास एक मात्र एक छिंदवाड़ा की लोकसभा सीट है। बीजेपी की इस सीट पर भी नजर है। कांग्रेस की स्‍क्रीनिंग कमेटी की बैठक में उम्‍मीदवारों के नाम पर मंथन भी हो चुका है। नामों का पैनल भी तैयार है। हाईकमान जल्‍द सूची जारी करेगा। लेकिन इन सबके बीच इस चुनाव में कई दिग्‍गजों की साख दांव पर है। कई चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। कईयों पर अभी भी हाईकमान का दबाव है। ऐसे में यदि ये नेता चुनाव में हारते हैं, तो उनके राजनीति भविष्‍य पर खतरा मंडरा सकता है। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्‍यक्ष केके मिश्रा ने कहा कि हाईकमान ने नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं को बहुत कुछ दिया है। इसलिए हाईकमान के कहने पर हर नेता चुनाव लड़ने को तैयार है। उन्‍होंने कांग्रेस से जाने वाले नेताओं को नसीयत देते हुए कहा कि ये नेता कांग्रेस में ऐशोआराम के लिए आते हैं। इन नेताओं को वक्‍त जबाव देगा।

प्रदेश में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर लोकसभा चुनाव लड़ने का दबाव है। हाईकमान सीनियर लीडर्स के साथ युवाओं का तालमेल बैठाने की कोशिश कर रहे हैं। यही वजह है कि दिग्‍गज नेताओं को ये लगने लगा है कि यदि चुनाव हारे, तो उनका बचा हुआ राजनीति भविष्‍य पर खतरा आ सकता है। इसलिए ये सीनियर नेता चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं।पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने चुनाव लड़ने से इंकार कर चुके हैं। उनका तर्क है कि राज्यसभा का दो साल का कार्यकाल बचा है, इसलिए वह लोकसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। इसी तरह से अजय सिंह और अरूण यादव ने भी चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया। प्रदेश बीजेपी प्रवक्‍ता शिवम शुक्‍ला ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस देश का पुराना राजनीति संगठन है। यदि चुनाव लड़ने के लिए नेता नहीं मिल रहे हैं, तो कांग्रेस हाईकमान को मंथन करना चाहिए। उनके नेता जनता का सामना नहीं कर पा रहे। चुनाव लड़ने से इंकार कर रहे हैं। कांग्रेस और उनके नेताओं के बीच कोई एजेंडा नहीं है।

कांग्रेस अपनी खोयी हुई जमीन को तलाशने में जुटी है। इसलिए वो हर उस एक फॉर्मूले को लागू करना चाहती है, जिससे उसे लोकसभा चुनाव में फायदा हो सके। कांग्रेस का टारगेट है कि सीनियर लीडर्स की मदद से चुनाव में सीटों की संख्‍या को बढ़ाया जा सके। लेकिन अभी तक सुरक्षित राजनीति करने वाले दिग्‍गजों को हार का डर सताने लगा है।