भोपाल । खरमास का समय हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। इस अवधि में, सूर्य गुरु ग्रह की राशि में होते हैं, जिससे उनकी शक्ति कम हो जाती है और वे शुभ फल प्रदान करने में सक्षम नहीं होते। इसी कारण से, खरमास के दौरान किए गए कार्यों से शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती और इस समय में मांगलिक कार्यों को करने से बचा जाता है।

खरमास की कहानी
खरमास की कथा गधे से संबंधित है. संस्कृत में खर का मतलब गधा होता है और मास का मतलब महीना होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, ग्रहों के राजा सूर्य एक बार अपने रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। उनके रथ का चलते रहना आवश्यक था क्योंकि उनका ठहरना धरती पर जीवन के ठहराव का कारण बनता। लेकिन उनके घोड़े थक गए और उन्हें प्यास लगी। इस समस्या का समाधान करने के लिए, सूर्य देवता ने अपने रथ को एक तालाब के किनारे रोक दिया और घोड़ों को विश्राम दिया। वहीं पर दो गधे घास चर रहे थे, जिन्हें सूर्य देवता ने अपने रथ से जोड़ दिया और परिक्रमा जारी रखी। गधों की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गई। एक महीने तक यह स्थिति रही और फिर सूर्य देवता ने गधों को मुक्त किया और घोड़ों को फिर से रथ से जोड़ दिया। इस प्रकार, प्रत्येक वर्ष में एक महीना खरमास के रूप में मनाया जाता है।

यह महा आध्यात्मिक रूप से खुद को संपन्न और उत्तम बनाने का महीना है। ऋषियों ने इसे मलमास नाम इसलिए दिया है जिससे इस समय व्यक्ति सांसारिक कामों से मुक्त होकर पूरे महीने आध्यात्मिक लाभ के लिए काम करे।

क्या नहीं करना चाहिए ?
खरमास के समय शुभ और मांगलिक कार्यों को करने के लिए मन किया गया है। खरमास की अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे शुभ कामों का आयोजन नहीं किया जाता। इसके अलावा, नया वाहन, घर, प्लाट, रत्न-आभूषण और वस्त्र आदि की खरीदारी से भी परहेज किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार, खरमास की अवधि में तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है। क्योकि इस महा में आध्यात्मिक काम किये जाते है।

क्या करना चाहिए ?
खरमास के दौरान सूर्य उपासना का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस दौरान प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इस माह में चारपाई या पलंग का त्याग कर भूमि पर शयन करने, पत्तल में भोजन करने, और आराधना व जप-उपवास करने की परंपरा है। इस दौरान शुद्धता बनाए रखने और मन में किसी के प्रति बुरी भावना न लाने की भी सलाह दी जाती है।

खरमास में तुलसी जी की पूजा करनी चाहिए, इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। यह माह आत्म-संयम और आध्यात्मिक उन्नति के लिए उत्तम समय होता है।