धमतरी। वक्त जरूर बदला, लेकिन धमतरी से महज 3 किलोमीटर दूर तेलीनसती गांव की दस्तूर नहीं बदली है। यहां के ग्रामीण अबीर गुलाल तो जमकर उड़ाते हैं। लेकिन होलिका दहन नहीं करते हैं। इस गांव में आज भी बिना होलिका दहन के ही होली का त्योहार मनाया जाता है। गांव वालों की मान्यता है कि ‘आग जलाने से उनके ऊपर आफत आ सकती है। होली नहीं जलाने की प्रथा आज की नहीं बल्कि 16 वीं शताब्दी से चली आ रही है। इस परंपरा को युवा वर्ग भी आगे बढ़ा रहा है।

दरअसल धमतरी से सरहद के करीब तालाब के किनारे बने मन्दिर के इतिहास मे ही गांव के अनोखे दस्तूर की दांस्ता छीपी है। तेलीनसत्ती गांव में न होली जलाई जाती है और न ही दशहरे मे रावण का दहन किया जाता वैसे इन त्योहारों की खुशियां और उमंग यहां छोटे से लेकर हर बड़े बुजुर्ग में बराबर ही नजर आती है, लेकिन इन दोनों मौकों पर गांव में आग नहीं जलती.अगर यह सब होता भी है तो सरहद के बाहर ऐसी मान्यता है कि होली के मौके पर गांव में आग नहीं जलाई जाती है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करने की कोशिश भी करता है तो गांव में आफत आ जाती है गांव वालों का कहना है कि, ‘सदियों से पहले इस गांव में एक महिला अपने पति की चिता में सती हुई थी और तब से यह परंपरा चली आ रही है, जिसे हर शख्स मानता है। गाँव के प्रमुख मोहन जांगडे बताते है कि गांव में एक जमींदार था, जो सात भाई और एक बहन थी। बहन की शादी के बाद दमाद घरजमाई बनकर रहता था। उनकी सैकड़ों एकड़ की खेती भी थी। एक बार खेत का मेड़ टूट गया और इसके बाद सातों भाई ने मेड़ बांधने की खूब कोशिश की,लेकिन वह बांध नहीं सके। एक दिन सातों भाइयों ने अपनी बहनोई को मारकर उसी मेड़ में गाड़ दिया और जब बहन ने पूछा तो उन्होंने सारी बातें बता दी। इस बात को जानने के बाद बहन पति की चिता सजाकर सती हो गई। इसके बाद से ही गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है. इसकी याद में जय मां सती मंदिर भी बनाया गया है।

इस गांव में सिर्फ होली ही नहीं बल्कि रावण दहन और चिता जलाना भी मना है। किसी की मृत्यु होने पर पड़ोसी गांव की सरहद में जाकर चिता जलाई जाती है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो, गांव में कोई न कोई विपत्ति आती है। ये इस दौर में अविश्वसनीय, अकल्पनीय लग सकती है….आज डिजिटल युग मे जीने वाले आज के युवा भी इस प्रथा को इस मान्यता को अपना चुके है। गांव के युवा इस प्रथा को आगे बढ़ा रहे है। इस गांव में हर शुभ काम के लिए तेलिन सती माता का आशीर्वाद लेने के बाद ही किया जाता है। गाँव मे खास बात ये भी है कि अन्य गाँवो में हैजा जैसे बीमारी फैलती है। उल्टी दस्त होती है लेकिन तेलिनसत्ती गाँव मे माता सती की कृपा से आज तक बीमारी नही फैली है।