भोपाल, मनोज राठौर। मध्यप्रदेश की नर्मदापुरम सीट को जीतना किसी भी पार्टी के लिए इतना आसान नहीं है। यहां जीत हार में उतार चढ़ाव होता रहा। मौजूदा समीकरण के लिहाज से बीजेपी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है, तो कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन को तलाश रही है। देखिए ये खास रिपोर्ट…
-इस सीट पर जीत-हार में आते उतार-चढ़ाव
-BJP कर रही हैट्रिक लगाने की तैयारी
-कांग्रेस खोई हुई जमीन तलाशने में जुटी
-1980 से बीजेपी-कांग्रेस में कांटे की टक्कर
नर्मदापुरम सीट पर बीजेपी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है। लेकिन सियासी समीकरण के अनुसार ये सीट दोनों ही पार्टियों के लिए जीतना इतना भी आसान नहीं है। 1980 से बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रही। यहां पर जीत हार में उतार चढ़ाव आता रहा। मौजूदा समीकरण के लिहाज से जरूर बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। तो कांग्रेस भी अपनी खोई हुई जमीन को तलाश रही। इस संसदीय क्षेत्र में नर्मदापुरम, नरसिंहपुर और रायसेन जिले की आठ विधानसभा सीटें आती हैं। नर्मदापुरम जिले की नर्मदापुरम, सोहागपुर, सिवनी-मालवा और पिपरिया आती है। जबकि नरसिंहपुर जिले की नरसिंहपुर, तेंदुखेड़ा, और गाडरवारा विधानसभा सीट आती है। वहीं रायसेन जिले की एक मात्र उदयपुरा विधानसभा सीट शामिल है। मालवा के दूसरे राजा सुल्तान हुशंगशाह गौरी ने पंद्रहवीं शताब्दी में होशंगाबाद को बसाया था। सुल्तान के नाम पर ही इस शहर का नाम पड़ा। लेकिन जनता की मांग और सियासी उठक पठक के बीच होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम किया गया।
नर्मदापुरम लोकसभा सीट
जनसंख्या 23,90, 546
74 फीसदी ग्रामीण आबादी
25 प्रतिशत शहरी आबादी
49.6 फीसदी ओबीसी वोटर्स
22.6 प्रतिशत सामान्य वोटर्स
23.8 प्रतिशत एससी, एसटी मतदाता
4 फीसदी अल्पसंख्यक
सियासी जानकारों का मनाना है कि नर्मदापुरम सीट पर बीजेपी मजबूत स्थिति में है। बीजेपी ने कांग्रेस से पहले उम्मीदवार की घोषणा की। मौजूदा स्थिति बीजेपी के पक्ष में नजर आ रही है।
नर्मदापुरम लोकसभा सीट पर 1951 से लेकर 2019 तक 16 आम चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में 6 बार कांग्रेस जीती। 8 चुनावों में बीजेपी ने जीत हासिल की है। तो 2 बार दूसरे दलों को जीत मिली। बीजेपी अब हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। दो बार से बीजेपी के संसाद राव उदयप्रताप सिंह विधानसभा चुनाव जीतकर मोहन कैबिनेट में मंत्री हैं। उनकी जगह पर प्रदेश बीजेपी किसान मोर्चे के अध्यक्ष दर्शन सिंह चौधरी को टिकट दिया गया। कांग्रेस से बीजेपी में आये राव उदयप्रताप सिंह ने दो चुनावों में लगातार जीत हासिल की। अब बीजेपी इस सीट पर हैट्रिक लगाने की तैयारी में है। मौजूदा समीकरण के लिहाज से बीजेपी की मजबूत स्थिति नजर आ रही है। 2023 के विधानसभा चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र की सभी 8 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में फिलहाल बीजेपी बढ़त बनाते हुए नजर आ रही है।
2019 का लोकसभा चुनाव
कुल मतदाता 1706141
पुरुष मतदाता 898069
महिला मतदाता 808009
बीजेपी प्रत्याशी राव उदय प्रताप सिंह को मिले 877927 वोट
कांग्रेस उम्मीदवार शैलेंद्र दीवान चंद्रभान सिंह को मिले 324245 वोट
राव उदय प्रताप सिंह 553682 वोट से जीते
वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के राव उदय प्रताप सिंह ने कांग्रेस के देवेंद्र पटेल को 3 लाख 89 हजार 960 वोटों से चुनाव हराया था। बीजेपी को 6 लाख 69 हजार 128 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 2 लाख 79 हजार 168 वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में यहां पर कुल मतदाताओं की संख्या 15 लाख 68 हजार 127 थी, जिनमें से 10 लाख 31 हजार 175 लोगों ने अपने मत का इस्तेमाल किया था। इस संसदीय क्षेत्र में ओबीसी वोटर्स की सबसे ज्यादा संख्या होने की वजह से बीजेपी और कांग्रेस ओबीसी नेता को मौका देती है। प्रदेश बीजेपी प्रवक्ता मिलन भार्गव ने कहा कि बीजेपी के फुल पर चुनाव लड़ा जा रहा। स्थानीय मुद्दों के साथ विकास पर चुनाव लड़ रहे हैं। ये सीट बीजेपी का गढ़ है और इस बार भी इस सीट को प्रचंड बहुमत के साथ जीतेंगे।
नर्मदापुरम सीट का सफर
1951 कांग्रेस से सैयद अहमद जीते
1952 उपचुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के हरि विष्णु कामथ जीते
1957 कांग्रेस से रघुनाथ सिंह किलेदार सांसद बने
1962 प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से हरिविष्णु कामथ जीते
1967 से 1971 तक कांग्रेस से नीतिराज सिंह जीते
1977 जनता पार्टी से हरि विष्णु कामथ जीते
1980 से 1984 तक कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा सांसद रहे
1989 से 1998 तक बीजेपी से सरताज सिंह सांसद रहे
1999 बीजेपी से सुंदरलाल पटवा जीते
2004 बीजेपी से सरताज सिंह सांसद बने
2009 कांग्रेस के रावउदय प्रताप सिंह जीते
2014 से 2019 तक बीजेपी से रावउदय प्रताप सिंह सांसद बने
नर्मदापुरम लोकसभा सीट देश के पहले आम चुनावों से ही अस्तित्व में है। 1951 के पहले चुनाव में कांग्रेस के सैयद अहमद ने जीत हासिल की थी, जबकि 1952 में इस सीट पर हुए उपचुनाव में हरि विष्णु कामथ चुनाव जीते थे। 1957 में कांग्रेस ने यहां जोरदार वापसी की थी. लेकिन 1962 में कांग्रेस को हार मिली थी। 1967 और 1971 में कांग्रेस ने फिर यहां जीत हासिल की थी। 1977 में जनता पार्टी ने चुनाव जीता, तो 1980 और 1984 में कांग्रेस के रामेश्वर नीखरा लगातार दो बार सांसद चुने गए। साल 1989 में बीजेपी के सरताज सिंह ने पहली बार जीत हासिल की और 1999 तक लगातार सांसद बने रहे। 2009 में लंबे समय बाद कांग्रेस की वापसी हुई, लेकिन 2014 और 2019 में बीजेपी ने यहां से फिर जीत हासिल की।
नर्मदापुरम सीट के मुद्दे
-नर्मदा नदी का शुद्धिकरण
-अवैध उत्खनन
-नर्मदा शुद्धिकरण
-नरसिंहपुर में धान और गन्ने के उचित दाम
कांग्रेस भी इस सीट पर दम भर रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता रवि वर्मा का कहना है कि इस बार जीताऊ उम्मीदवार के साथ चुनावी मैदान में जमावट की है। ये चुनाव कांग्रेस शत प्रतिशत जीतेगी। बीजेपी की नीतियों से जनता का हर वर्ग परेशान है। पिछले चुनाव में मोदी लहर में बीजेपी ने कांग्रेस का सुपड़ा साफ कर दिया था। इस बार भी स्थानीय मुद्दों को लेकर नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर चुनाव लड़ा जा रहा है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की क्लीन स्वीप के बाद बीजेपी लोकसभा चुनाव में तीसरी बार जीतने की तैयारी में है। तो कांग्रेस के पास इस सीट पर खोने के लिए तो कुछ नहीं है, लेकिन पाने के लिए पूरा चुनावी मैदान पड़ा है।